Saturday 10 August 2024

यूट्यूबरों को नियंत्रित करने की मंशा


केन्द्र सरकार (प्रसारण सेवा विनियम विधेयक 2024 में यू ट्यूबरों और सोशल मीडिया के न्यूज इंफ्लूएंसर्स को डिजीटल न्यूज ब्राडकास्ट (समाचार प्रसारक) की श्रेणी में लाने का प्रयास कर रही है। यह संसद में पेश करने की तैयारी है। दरअसल हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में दिलचस्प घटना यह देखने को मिली कि समाचार और समसामयिक मामलों में रिपोर्टिंग, चर्चा और विश्लेषण करने वाले व्यक्तिगत यूट्यूबर की लोकप्रियता में उछाला आया। ध्रुव राठी, रवीश कुमार, फोर पीएम न्यूज, अभिसार शर्मा, आकाश बनर्जी जैसे यू-ट्यूबर ने लाख लोगों को प्रभावित करने वाली सरकारी नीतियों के बारे में महत्वपूर्ण सवाल उठाने वाले अपने वीडियों से काफी लोकप्रियता हासिल की। हाल ही में ध्रुव राठी के वीडियों क्या भारत तानाशाह बन रहा है? को फरवरी अंत में अपलोड किए जाने के बाद से 24 मिलियन व्यू मिले, जो अकसर स्थापित टीवी चैनलों के कुल व्यू से भी ज्यादा हैं। यूट्यूबर की इतनी बढ़ती लोकप्रियता का प्रमुख कारण है टीवी चैनलों की घटती विश्वसनीयता कई स्थापित समाचार आउटलेट ने सरकार के प्रति चापलूसी भरे दृष्टिकोण, एक ही चेहरे को बार-बार दिखाना और उसका महिमामंडन करना, इससे उनके दर्शक पक चुके हैं। यह टीवी चैनल जिन्हें गोदी मीडिया भी कहा जा रहा है। सत्तारुढ़ पार्टी की कहानी के प्रचारक के रूप में काम करते हैं। डिजीटल मीडिया प्लेटफार्म की लोकप्रियता में भी वृद्धि हुई, जो ईमानदार आलोचनात्मक पत्रकारिता के लिए प्रतिबद्ध हैं जो सरकार को जवाबदेही ठहराते हैं। सुप्रीम कोर्ट, असहमति और स्वतंत्र पत्रकारिता डिजीटल मीडिया स्पेस इसलिए जीवंत है, क्योंकि यह सरकार के सीधे नियंत्रण से बाहर काम करती है। पारंपरिक मीडिया आउटलेट्स के विपरीत जिन्हें अकसर विनियामक दबाव और संभावित सेंसरशिप का सामाना करना पड़ता है। डिजीटल प्लेटफार्म को अपेक्षाकृत बड़ी स्वायतता प्राप्त है जो उन्हें असहज प्रश्न उठाने और उन मुद्दों को उजागर करने की अनुमति देती है, जिन्हें मुख्य धारा का मीडिया अनदेखा कर सकता है या टाल देता है। हाल ही में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एक सदस्य ने राज्यसभा में सोमवार को पत्रकारों की मौजूदा स्थिति और उन्हें पेश आ रही चुनौतियों के साथ विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत के गिरते स्तर पर चिंता जताई। विपक्षी दलों ने भी सरकार की ओर से लाए जा रहे इन बिल को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार नया कानून बनाने जा रही है, जिसके बाद यूट्यूबर्स और इंस्टाग्राम स्टार पर कड़ी नजर रखी जाएगी। कहा जा रहा है कि इस बिल में इंस्टाग्राम इंफ्लूएंसर और यूट्यूबर्स को भी रेगुलेटरी निगरानी में लाने का प्रावधान है। कई लोगों का कहना है कि सरकार ऐसा करके यूट्यूबर्स पर सेंसरशिप लगाना चाहती है। अगर सरकार उनसे कोई जानकारी मांगती है तो उन्हें देनी पड़ेगी नहीं तो उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। इस कानून से लोगों की आजादी छिन जाएगी और सोशल मीडिया पर सेंसरशिप बढ़ेगी। प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वतंत्र मीडिया के लिए प्रत्यक्ष खतरा है।

-अनिल नरेन्द्र

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