Saturday 24 August 2024
चंपाई सोरेन के जरिए चुनाव जीतने की कवायद
भाजपा पिछले 4-5 वर्षों से झारखंड में सरकार बनाने का प्रयास कर रही है। कम से कम 5 बार झामुमो को तोड़ने की कोशिश की है पर हर बार असफल रही है। ताजा उदाहरण चंपाई सोरेन का है। झामुमो के सीनियर लीडर चंपाई सोरेन ने पार्टी छोड़ दी है। हाल ही में दिल्ली आए थे। उनके साथ चार-पांच विधायकों को भी आना था पर वह किसी कारणवश चंपाई के साथ दिल्ली नहीं आए। अकेले चंपाई भाजपा के लिए कुछ खास उपयोगी नहीं थे इसलिए इस बार की ऑपरेशन लोटस फेल हो गया। हेमंत सोरेन ने अब तक भाजपा के सारे ऑपरेशन लोटस फेल किए हैं। भाजपा की नजर इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने पर है। वह हर कीमत पर यहां सरकार बनाना चाहती है। चंपाई सोरेन की बगावत के बावजूद भाजपा को आने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। पार्टी के सामने भीतरी और बाहरी दोनों मोर्चों पर कड़ी चुनौतियां हैं। हालांकि उसके दो प्रमुख रणनीतिकार केन्द्राrय मंत्री व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं। असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा राज्य में भाजपा की सत्ता में वापसी के लिए मजबूत रणनीति बनाने में जुटे हैं, जिसमें आदिवासी मतदाताओं को साधना सबसे अहम है। झारखंड में हाल में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा को आदिवासी सीटों पर बड़ा झटका लगा था। वह राज्य की सभी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर हार गई और यही वजह है कि भाजपा की लोकसभा सीट 11 से घटकर 8 रह गई। आदिवासी सीटों पर नुकसान भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव में बड़ी समस्या बन सकती है। हालांकि भाजपा ने राज्य की चुनावी रणनीति की कमान अपने दो मजबूत नेताओं को सौंपी है। चंपाई सोरेन की झामुमो में बगावत को भी भाजपा की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। चंपाई झामुमो के मजबूत नेता हैं और प्रतिष्ठित आदिवासी नेता हैं। यही वजह है कि चंपाई को ही हेमंत ने जेल जाने पर मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन जब वह जेल से लौटे तो चंपाई को हटाकर खुद मुख्यमंत्री बन गए। तभी से दोनें में अनबन चल रही है। चंपाई सोरेन के पाला बदलने की तेज हुई हलचलों को लेकर विपक्षी गठबंधन इंडिया का राष्ट्रीय नेतृत्व चौकस और सक्रिय हो गया है। चंपाई के भाजपा में जाने के लिए मिल रहे संकेत इंडिया के लिए चुनावी चिंता बढ़ाने वाला जरूर है। चंपाई यदि भाजपा में शामिल होते हैं तो आदिवासी रणनीति के विमर्श की लड़ाई में चुनौती बन सकते हैं, वैसे उन्होंने अपनी नई पार्टी बनाने के संकेत दिए हैं। झारखंड में कांग्रेस और हेमंत सोरेन चौकस हो चुके हैं और अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। वहीं चंपाई सोरेन ने तीन दिवसीय दिल्ली दौरे के बाद मंगलवार की देर शाम कोलकाता होते हुए सरायकेला (गांव) लौट आए लेकिन उन्होंने अगले कदम का खुलासा नहीं किया। पुराने स्टैंड पर कायम हैं। दिल्ली एयरपोर्ट पर चंपाई ने भाजपा के किसी नेता से बातचीत करने से भी साफ इंकार कर दिया। नाराजगी और अन्य विषयों पर बार-बार यही दोहराया कि सोशल मीडिया के माध्यम से मैंने अपनी बात रख दी है। इसमें ज्यादा कुछ नहीं कहना है, चंपाई विचार रखने के बाद अगले कदम का खुलासा करेंगे, तब तक वेट करिए।
-अनिल नरेन्द्र
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