पिछले कुछ समय से बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के लिए सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा था। घरेलू मोर्चे पर जहां विपक्षी पार्टियों के और छात्रों के दबाव और प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा। वहीं विदेशी मोर्चे पर भी शेख हसीना के खिलाफ साजिश रची जा रही थी। पिछले महीने शेख हसीना चीन दौरे पर गई थीं। वह समय से पहले ही वहां से वापस आ गई थीं। ऐसा माना गया कि शेख हसना जो सोचकर चीन गई थी, वे वहां हासिल नहीं हुआ। बांग्लादेश में भारत की पूर्व उच्चायुक्त वीना सीकरी बीबीसी हिन्दी से कहती हैं चीन में शेख हसीना को उचित सम्मान नहीं दिया गया। शी जिनपिंग के साथ वो जो बैठक चाहती थीं वह भी नहीं हो पाई। चीन की नीयत उसी समय खराब लग रही थी। बांग्लादेश में जारी उथल-पुथल में राजनीतिक विश्लेषकों को अमेरिका, पाकिस्तान और चीन का हाथ दिख रहा है। इस छात्र आंदोलन के पीछे बांग्लादेशी कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी को माना जा रहा है। यह संगठन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का करीबी है। दरअसल लंबे समय से अमेरिका चाह रहा था कि बांग्लादेश में सरकार बदले और एक ऐसी सरकार बने जो बांग्लादेश के हितों के बजाए अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए काम करे। शेख हसीना ने कई बार साफ कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी म्यांमार और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों को मिलाकर एक नया ईसाई देश बनाना चाहते हैं, जिनमें कुछ हिस्से भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों के भी शामिल हैं। इसके अलावा अमेरिका बंगाल की खाड़ी में ऐसी परिस्थितियां चाहता है जिनके बहाने भारत पर निर्भर रहे बिना मजबूत सैन्य मौजूदगी बना सके। अमेरिका अपनी इन रणनीतिक जरूरतों को तभी पूरा कर सकता है जब यहां अस्थिरता हो और ऐसे लोग सत्ता में हों जिन्हें आसानी से नियंत्रित किया जा सके। म्यांमार में पहले ही अस्थिरता और सैन्य शासन है। हसीना के चले जाने के बाद अमेरिका के लिए बांग्लादेश में घुसना और सेना को अपने हितों के लिए इस्तेमाल करना आसान हो जाएगा। ऐसा प्रतीत होता है कि छात्रों के विरोध प्रदर्शन के कारण यह संकट पैदा हुआ जिसका फायदा उठाया जमात-ए-इस्लामी और पाकिस्तान की आईएसआई ने। अवसरवादी चाहे वह विपक्ष बीएनपी हो या जमात-ए-इस्लामी जो कट्टरपंथी पाकिस्तान समर्थक इस्लामिक समूह है जो सड़कों पर बहुत सक्रिय है, वे विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो गए हैं और विरोध प्रदर्शनों में हिंसा फैलाने में इनका सबसे बड़ा हाथ है। सवाल उठता है कि आखिर बांग्लादेश में इतने हिंसात्मक आंदोलन ने इतना उग्र रूप कैसे धारण किया? क्यों हिन्दुओं को टारगेट किया जा रहा है। इसके पीछे किसी की ऐसी चाल तो नहीं जिसका दूरगामी असर भारत पर पड़ेगा। सूत्रों के अनुसार इसके पीछे चीन, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ हो सकता है। साजिश रची आईएसआई ने मोहरा बना इस्लामिक छात्र शिविर जो जमात-ए-इस्लामी का छात्र संगठन है। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार ऑपरेशन रिजीम चेंज का खाका लंदन में आईएसआई की मदद से तैयार किया गया था और बांग्लादेश में लागू किया गया। बांग्लादेश अधिकारियों के पास बांग्लादेश के प्रमुख पार्टी के कद्दावर नेता के आईएसआई आतंकवादियों से मिलने के भी सबूत हैं। आईएसआई के लोग अपने समर्थक छात्रों को हिंसा करने में लगे रहे। चीन का तो प्लान सभी जानते हैं, वह भारत को चारों दिशाओं से घेरने में लगा रहता है।
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