Tuesday 20 August 2024

कोलकाता रेप-मर्डर केस, बैकफुट पर ममता


आरजी कर अस्पताल की घटना के अभियुक्त को रविवार तक फांसी दी जाए। बांग्लादेश की तरह यहां मेरी सरकार भी गिराने की कोशिश चल रही है। मुझे सत्ता का कोई लालच नहीं है...। इस घटना पर सीपीएम और भाजपा राजनीति कर रही हैं। आरजी कर अस्पताल पर हमले के पीछे भी राम और वाम का ही हाथ है। यह बयान कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जूनियर डाक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दिया गया है। अमूमन इससे पहले उनको किसी मामले में लगातार ऐसी बयानबाजी करते नहीं देखा गया है। इससे राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या ममता इस घटना की वजह से भारी दबाव में हैं? क्या उनको अपने सबसे बड़े वोट बैंक के बिखरने का खतरा नजर आ रहा है? क्या अपने तीसरे कार्यकाल में उनको पहली बार ऐसी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है? अमूमन वो किसी घटना के विरोध में सड़क पर नहीं उतरतीं। इस घटना के बाद जहां सरकार और पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है वहीं रीब्लेम द नाइट की अपील पर राज्य के तीन सौ स्थानों पर महिलाओं के स्वत स्फूर्त जमावड़े और विरोध प्रदर्शन के कारण उनके इस वोट बैंक (सबसे मजबूत) के बिखरने का भी खतरा पैदा हो गया है। विश्लेषकों का कहना है कि फिलहाल राज्य में कोई चुनाव भले ही न हो, विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने और अगले विधानसभा चुनाव तक जीवित रखने की कोशिश जरूर करेगा। ममता बनर्जी पर चौतरफा हमले हो रहे हैं। भजपा और सीपीएम तो आक्रामक तौर पर इसका विरोध तो कर ही रही हैं, कांग्रेस भी मुख्यमंत्री के खिलाफ टिप्पणियां कर रही है। इनमें राहुल गांधी और प्रदेश कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल हैं। ममता ने शुक्रवार शाम को कोलकाता के मौलाली से धर्मतल्ला इलाके तक करीब डेढ़ किमी पदयात्रा की। उनका एक ही नारा था कि दोषियों को सजा देनी होगी। उनको फांसी पर लटकाना होगा। सवाल यह उठता है कि ममता किस से सजा दिलवाने, फांसी पर लटकाने की मांग कर रही थीं? यह तो जवाब तो तृणमूल सरकार और पुलिस प्रशासन को देना है? फिर इस प्रकार की मांग की तुक क्या है? उनके प्रशासन पर लीपापोती और साक्ष्य मिटाने के आरोप हैं। इन नरभक्षियों को बचाने के आरोप हैं। इस घटना की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है। इसने तो निर्भया कांड की याद ताजा कर दी है। सारे देश के डॉक्टर आज सड़कों पर उतरे हुए हैं और न्याय और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। इस बार ममता और उनकी सरकार फंस गई है। अगर उसने पूरे मामले पर लीपापोती का प्रयास नहीं किया होता तो आज सड़क पर नहीं उतरना पड़ता। खासकर प्रिंसिपल का बचाव करना और उसको इस्तीफे के कुछ घंटों के भीतर नई बहाली देना उनके गले की फांस बनता जा रहा है। ममता के खिलाफ मुद्दों की तलाश में जुटे विपक्ष ने अब इस मुद्देs को लपक लिया है। मुख्यमंत्री खुद एक महिला हैं, पार्टी में 11 सांसद महिलाएं हैं, फिर भी एक महिला के साथ घटी ऐसी बर्बर घटना के बाद सरकार वैसी सक्रियता नहीं दिखा सकी जैसी इस गंभीर मामले में उम्मीद थी। बेशक सीबीआई अब पूरे मामले की जांच कर रही है पर कटु सत्य यह हैं कि बंगाल के मामले में तृणमूल सरकार का ट्रेक रिकार्ड बेहतर नहीं है, यही वजह है कि विपक्षी हमले की धार कुंद करने के लिए अब ममता भी आम लोगों के सुर में सुर मिलाते हुए दोषियों को फांसी की मांग कर रही हैं। उधर अस्पताल पर हमले के मामले में पुलिस ने अब तक 24 लोगों को गिरफ्तार किया है। उनमें एक महिला भी है। फिलहाल तो ममता अपने महिला वोट बैंक को अटूट रखने की चुनौती से जूझ रही हैं।

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