Saturday 17 August 2024
हिंडनबर्ग रिपोर्ट और सेबी प्रमुख
अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधवी बुच पर एक बार फिर सवाल उठाए हैं। हिंडनबर्ग ने अपने अधिकारिक एक्स एकाउंट पर दस्तावेजों के साथ एक पोस्ट करते हुए दावा किया कि माधवी की सफाई वाले बयान पर जारी रिपोर्ट में कही गई बातों को स्वीकार करा गया है और इससे कई नए महत्वपूर्ण सवाल भी खड़े हुए हैं। उल्लेखनीय है कि सेबी और अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग के आरोपों को बेबुनियाद बताया। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सेबी की प्रमुख माधवी बुच पर अडाणी समूह से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी होने के आरोपों को माधवी ने आधारहीन व चरित्र हनन का प्रयास बताया है। हिंडनबर्ग ने अपने जवाब में कहा कि बुच के जवाब से पुष्टि होती है उनका निवेश बरमुडा/मारीशस के फंड में था। आरोप है कि गौतम अडाणी का भाई विनोद अडाणी के जरिए शेयरों की कीमत बढ़ाता था। इसे हितों के टकराव का बड़ा मामला माना जा रहा है। हिंडनबर्ग ने कहा कि माधवी बुच ने अपने बयान में दावा किया था कि उन्होंने जो दो परामर्श कंपनियां स्थापित कीं जिनमें भारतीय और सिंगापुर की इकाई शामिल है, वे 2017 में सेबी में उनकी नियुक्ति के तुरंत बाद निष्क्रिय हो गई थी। वर्ष 2019 में उनके पति ने कार्यभार संभाल लिया था। लेकिन दस्तावेजों में खुलासा हुआ है कि 31 मार्च 2024 तक शेयर धारित सूची के अनुसार अगोरा एंड वाइनरी लिमिटेड (इंडिया) का 99 प्रतिशत स्वामित्व अब भी माधवी के पास है, न कि उनके पति के पास। यह इकाई वर्तमान में सक्रिय है और इससे राजस्व हासिल किया जा रहा है। बुच दंपति की नेटवर्थ बहरहाल दस मिलियन डॉलर आंकी गई है। हम यह नहीं दावा कर रहे कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सही है या नहीं, हम यह कहते हैं कि मामले की बारीकी से जांच होनी चाहिए। सरकार को त्वरित कार्रवाई करते हुए यह स्पष्ट करना चाहिए कि इसमें किसी तरह की ढिलाई नहीं हुई है। दूसरे जब तक जांच पूरी तरह नहीं हो जाती, तब तक सेबी प्रुमुख को नियामक गतिविधियों से पृथक रखा जाए। यह मसला बेहद गंभीर है, देश की प्रतिष्ठा और शेयरधारकों के विश्वास को किसी तरह की चोट नहीं पहुंचनी चाहिए। इस दौरान यह मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया है। अधिवक्ता विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट का हवाला दिया। अर्जी में आरोप लगाया गया कि भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधवी बुच और उनके पति ने ऐसे फंड में निवेश किया था जो अडाणी समूह की कपंनियों से जुड़े हैं। नई रिपोर्ट ने संदेह का माहौल पैदा कर दिया है, इसलिए अडाणी समूह के बारे में हिंडनबर्ग की 2023 की रिपोर्ट पर सेबी की लंबित जांच पूरी करने और जांच के निष्कर्ष का सार्वजनिक करना बेहद जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने 3 जनवरी 2023 को सेबी की जांच से सहमति जताते हुए आरोपों की एसआईटी और सीबीआई से जांच कराने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। अगर इसमें निष्पक्ष जांच होती है तो सच्चाई सामने आ जाएगी। अगर यह कोई विदेशी साजिश है तो भी उसका पर्दाफाश हो जाएगा और सरकार व सेबी क्लीन चिट के हकदार होंगे और अगर माधवी इसमें लिप्त पाई जाती हैं तो उस सूरत में कानून अपना काम करेगा।
-अनिल नरेन्द्र
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