Thursday 22 August 2024

इसलिए वापस लेना पड़ा लेटरल एंट्री


लेटरल एंट्री के माध्यम से संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के 45 उच्च पदों पर सीधी भर्ती पर सियासी संग्राम छिड़ गया है। परंतु विपक्ष के बढ़ते दबाव और आम चुनाव के दौरान आरक्षण के मसले पर मोदी सरकार को लगे झटके के चलते सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा विज्ञापन को वापस ले लिया है। दरअसल केंद्र सरकार ने शासन की सुगमता और शासन में नई प्रतिभाओं को शामिल करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने अपनी एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप-सचिवों के प्रमुख पदों पर जल्द ही 45 विशेषज्ञ नियुक्त किए जाने की घोषणा की है। आमतौर पर अब तक ऐसे पदों पर अखिल भारतीय सेवाओं भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) भारतीय पुलिस सर्विस (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा और अन्य ग्रुप ए सेवाओं के अधिकारी होते हैं। इस घोषणा की चौतरफा आलोचना हो रही है। कांग्रेस, सपा और बसपा सहित विपक्षी दलों ने मामले को लेकर केंद्र पर हमला बोला है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार की इस योजना का कड़ा विरोध करते हुए इसके खिलाफ 2 अक्टूबर से आंदोलन चलाने का ऐलान किया है। अखिलेश ने रविवार को एक्स पर लिखाö भाजपा अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाजे से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साजिश कर रही है उसके खिलाफ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है। ये तरीका आज के अधिकारियों के साथ, युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा। आम लोग बाबू और चपरासी तक ही सीमित रह जाएंगे। दरअसल, सारी चाल पीडीए से आरक्षण छीनने की है। अब जब भाजपा ये जान गई है कि संविधान को खत्म करने की भाजपाई चाल के खिलाफ देशभर का पीडीए जाग रहा है तो वे ऐसे पदों पर सीधी भर्ती कर आरक्षण को दूसरे बहाने से नकारना चाहती है। बसपा प्रमुख मायावती ने केन्द्र में लेटरल एंट्री के माध्यम से उच्च पदों पर सीधी भर्ती पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार का यह फैसला सही नहीं है। बसपा प्रमुख ने रविवार को एक्स पर लिखा कि केंद्र सरकार का लेटरल एंट्री के माध्यम से सीधी भर्ती का मतलब यह भी है कि सीधी भर्ती के माध्यम से नीचे के पदों पर काम कर रहे कर्मियों को पदोन्नति के लाभ से वंचित होना होगा। इसके साथ ही इन नियुक्तियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को उनके कोटे के अनुपात में अगर नियुक्ति नहीं दी जाती है, तो यह संविधान का सीधा उल्लंघन है। कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री संघ लोक सेवा आयोग के बजाए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के माध्यम से लोक सेवकों की भर्ती करके संविधान पर हमला कर रहे हैं। इस तरह की कार्रवाई से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खुलेआम छीना जा रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर विलंबित प्रवेश प्रक्रिया के जरिए भर्ती कर खुलेआम एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है। उन्होंने कहा है कि शीर्ष नौकरशाहों समेत देश के सभी शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं है, उसे सुधारने के बजाए लेटरल एंट्री प्रक्रिया द्वारा उन्हें शीर्ष पदों से दूर रखने की कवायद है। यूपीएससी की तैयारी कर रहे युवाओं के हक पर डाका और वंचितों के आरक्षण समेत सामाजिक न्याय की परिकल्पना पर चोट है। उधर लालू प्रसाद यादव ने कहा कि बाबा साहेब के संविधान व आरक्षण की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कारपोरेट में काम कर रही भाजपा की निजी सेना अर्थात खाकी पेंट वालों को सीधा भारत सरकार के महत्वपूर्ण मंत्रालयों में बैठाने की मंशा साफ दिख रही है।

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