Friday 31 October 2014

देवेंद्र फड़नवीस ः 27 में मेयर और 44 में सीएम

महाराष्ट्र में पहली बार अपने दम पर सरकार बनाने जा रही भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी के युवा प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र फड़नवीस पर भरोसा जताया है। हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के रूप में गैर जाट मुख्यमंत्री देने के बाद भाजपा ने इस युवा मुख्यमंत्री पर दांव खेला है। देवेंद्र फड़नवीस पार्टी के उभरते चेहरे हैं और केंद्रीय नेतृत्व विशेषकर प्रधानमंत्री और अमित शाह की पसंद हैं। उन्हें मुख्यमंत्री चयनित कर पार्टी ने जहां प्रदेश में लंबी राजनीतिक पारी खेलने की मंशा जाहिर की है वहीं चुनाव के पहले तक भाजपा की 25 साल से सहयोगी रही शिवसेना के लिए भी सख्त संदेश दिया है। यों तो 1995 से 1999 के दौरान भाजपा के शिवसेना के साथ गठबंधन और सरकार में उसकी भूमिका छोटे भाई जैसी ही रही। नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में केंद्र में सरकार बनाने के बाद से भाजपा की नजर जिन राज्यों में थी उसमें महाराष्ट्र भी शामिल था। शिवसेना की मांगों को ठुकराते हुए पार्टी ने चुनाव में अकेले जाने का फैसला किया और उसका यह दांव सही साबित भी हुआ। बेशक भाजपा को मोदी की लोकप्रियता और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की रणनीतियों का फायदा मिला पर यह सच है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे फड़नवीस ने पार्टी को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यही नहीं विधानसभा में भी आदर्श घोटाले और सिंचाई घोटाले के मुद्दे पर उन्होंने लगातार कांग्रेस-एनसीपी सरकार पर तीखे हमले किए। यही वजह थी कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार एंड कंपनी यह नहीं चाहती थी कि स्वच्छ और ईमानदार छवि के फड़नवीस को मुख्यमंत्री बनाया जाए। वह चाहते थे कि नितिन गडकरी को भाजपा मुख्यमंत्री घोषित करे ताकि उनसे वह अपना तालमेल बैठा सकें। नए मुख्यमंत्री भी विदर्भ से ही ताल्लुक रखते हैं जिस पर भाजपा दिग्गज और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की असरदार पकड़ है। लेकिन गडकरी भी इस युवा नेता को उड़ान भरने से नहीं रोक सके। इसमें कोई संदेह नहीं कि देवेंद्र फड़नवीस एक सक्षम और जीवंत युवा राजनेता के रूप में उभरे हैं। बावजूद इसके यह भी सच्चाई है कि उनके पास प्रशासनिक कार्यों के पर्याप्त अनुभव का अभाव है और उनकी राजनीति भी कमोबेश विदर्भ के आसपास ही सिमटी रही। सबसे कम उम्र में नागपुर के मेयर बनने की उपलब्धि बेशक उनके पास है और चुनावों में अजेय रहने का पराक्रम भी वह लगातार दिखा रहे हैं, लेकिन महाराष्ट्र जैसे राज्य की सबसे ताकतवर कुर्सी के लिए जैसे तगड़े दावेदारों की फौज सामने खड़ी थी उन्हें पछाड़ना भी मामूली बात नहीं थी। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नितिन गडकरी जैसे दिग्गज को पीछे छोड़ने वाले फड़नवीस को मोदी और शाह के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी समर्थन प्राप्त है और वह उस विदर्भ से आते हैं जिसने भाजपा को क्षेत्र की 62 में से 44 सीटें दी हैं। जाहिर है कि उनके मुख्यमंत्री बनने से भले ही अलग विदर्भ राज्य की मांग को थोड़ा विराम मिल जाए मगर इस क्षेत्र के लोगों की उनसे अपेक्षाएं भी काफी होंगी। खासतौर से इसलिए भी क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से यह इलाका किसानों की आत्महत्या के कारण लगातार सुर्खियों में रहा है। हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के रूप में गैर जाट मुख्यमंत्री देने के बाद भाजपा फड़नवीस के रूप में महाराष्ट्र को गैर मराठा मुख्यमंत्री दे रही है। यह प्रदेश की राजनीति में एक तरह से मराठा वर्चस्व को चुनौती है। सबसे दिलचस्प स्थिति शिवसेना की हो गई है जिसे एक तरह से थूक कर चाटना पड़ा है। मोदी और शाह अब इस बात पर बल दे रहे हैं कि उद्धव ठाकरे और अन्य शिवसेना नेता पहले माफी मांगें फिर आगे बात होगी।  पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण तो मनमोहन सिंह की तरह गठबंधन राजनीति की मजबूरियों का हवाला देकर निकल गए, लेकिन फड़नवीस ऐसा नहीं कर पाएंगे। इस बार महाराष्ट्र विधानसभा तक  पहुंचने वालों में दागियों की संख्या अभूतपूर्व तरीके से बढ़ी है जिसमें भाजपा भी कहीं से कम नहीं है। इन्हें कैसे अंकुश में रखेंगे नए मुख्यमंत्री? फिर अपनी ही पार्टी के महत्वाकांक्षी नेताओं से निपटना, पूर्व सरकार के घोटालों से निपटना होगा जो अब बड़ी रेस में मुंह की खाने के बाद चोट पहुंचाने के नए रास्तों की खोज में जुट जाएंगे। श्री देवेंद्र फड़नवीस 27 साल में मेयर बने और 44 में सीएम। उन्हें मुख्यमंत्री बनने पर बधाई।

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