पहले लोकसभा और अब दो राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद
कांग्रेस के भीतर से बदलाव की आवाज उठना स्वाभाविक ही है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि
इस शर्मनाक हार के लिए कांग्रेस नेतृत्व जिम्मेदारी नहीं ले रहा है। न राहुल गांधी
जिम्मेदारी ले रहे हैं और न सोनिया गांधी। पार्टी के भीतर ही भीतर बगावत की चिंगारी
सुलग रही है। किसी की हिम्मत ही नहीं पड़ रही कि वह राहुल के नेतृत्व पर प्रश्न करे
क्योंकि राहुल की देखरेख व नेतृत्व में यह चुनाव लड़े गए थे। अंतत पूर्व वित्तमंत्री
पी. चिदम्बरम ने कांग्रेस का अगला अध्यक्ष
गांधी परिवार से बाहर का होने की संभावना जताकर सियासी हलचल मचा दी है। चिदम्बरम का
बयान ऐसे समय में आया है जब प्रियंका गांधी को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में लाने
की मांग जोर-शोर से उठ रही थी। पूर्व वित्तमंत्री और गांधी परिवार
के सबसे खास माने जाने वाले चिदम्बरम ने स्वीकार किया है कि नेतृत्व के स्तर पर परिवर्तन
बहुप्रतीक्षित है। फौरन बदलाव होना चाहिए। कांग्रेस पार्टी का मनोबल गिरा हुआ है। भविष्य
में कांग्रेस का अध्यक्ष कोई गैर गांधी भी हो सकता है। चिदम्बरम से शायद ही किसी को
आशा होगी कि वह गांधी नाम से आगे न सोच पाने वाली कांग्रेस में इतनी साफगोई से अपनी
बात कहेंगे। एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में चिदम्बरम ने कहा कि कांग्रेस का मनोबल
गिरा हुआ है और संगठन में बदलाव के लिए पार्टी नेतृत्व को जल्द कदम उठाना पड़ेगा। यह
पूछे जाने पर कि क्या भविष्य में गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति पार्टी अध्यक्ष
बन सकता है? जवाब में चिदम्बरम ने कहा, हां मैं जवाब देते हुए कह सकता हूं। कांग्रेस में अगले साल अध्यक्ष पद का चुनाव
होना है। पार्टी में इस तरह की चर्चा आम है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने बेटे राहुल गांधी को जिम्मेदारी
सौंप सकती हैं। हालांकि कई राजनीतिक जानकार यह भी मानते हैं कि गांधी परिवार के इशारे
पर भी चिदम्बरम यह बयान दे सकते हैं। चिदम्बरम कांग्रेस और विशेष रूप से 10
जनपथ के सबसे वफादार सिपाहियों में माने जाते हैं। उन्होंने पूरी राजनीति
कांग्रेस की बजाय गांधीनाम की छाया के नीचे की। इससे पहले भी नेतृत्व पर सवाल उठाए
जाते रहे हैं लेकिन इस तरह खरी-खरी कहने की हिम्मत शायद ही कोई
कांग्रेसी कर पाया हो। लोकसभा चुनावों के बाद आम कांग्रेसियों को यह बात आहत करने वाली
है कि सवा सौ साल पुरानी पार्टी होने का दम भरने वाली कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल की
हैसियत भी नहीं पा सकी। हार के कारणों की समीक्षा के लिए बनी एके एंटनी कमेटी ने भी
ईमानदारी से समीक्षा करना तो दूर रहा महज लीपापोती की। भारी पराजय के लिए सीधे राहुल
गांधी को जिम्मेदार बताने की बजाय गोलमोल बातें कही गईं। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल
गांधी की नेतृत्व शैली पर लगातार उठते सवालों के बीच पूर्व वित्तमंत्री के इस बयान
का संकेत साफ है कि प्रियंका यदि कांग्रेस को मौजूदा संकट के दौर से निकालने के लिए
मैदान में नहीं उतरती हैं तो सोनिया गांधी के बाद अगला अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर
का भी हो सकता है। प्रियंका को लाने की कांग्रेस में उठ रही मांग के बीच पार्टी अध्यक्ष
की कमान गांधी परिवार से इतर किसी को दिए जाने के सवाल पर चिदम्बरम ने साफ कहा कि क्या
होगा अभी वह नहीं कह सकते। लेकिन इस बात से इंकार नहीं कि गांधी परिवार के बाहर का
भी कोई कांग्रेस नेता पार्टी का अध्यक्ष बन सकता है। चिदम्बरम ने यह भी माना है कि
लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस में आमूलचूल बदलाव की जरूरत है और हार के तत्काल बाद
कांग्रेस कार्यसमिति की हुई बैठक में सबकी राय यही थी। उनके मुताबिक पार्टी को मोदी
सरकार के मुकाबले एक मजबूत विपक्ष बनाने के लिए तत्काल बदलाव किया जाना वक्त की जरूरत
है। चिदम्बरम का यह भी मानना है कि बेहतर विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए सोनिया और
राहुल को ज्यादा से ज्यादा बयान देने चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरा कांग्रेस अध्यक्ष
व उपाध्यक्ष से आग्रह है कि वह ज्यादा से ज्यादा रैलियां करें, मीडिया से बात करें। मैं मानता हूं कि पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल काफी गिरा
हुआ है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि उसे फिर से उठाया नहीं जा सकता।
मुझे पूरा भरोसा है कि पार्टी नेतृत्व के पास पूरा टाइम टेबल होगा।
No comments:
Post a Comment