Sunday, 26 October 2014

वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड व खिलाड़ियों का शर्मनाक रवैया

वेस्टइंडीज टीम के पिछले दिनों भारतीय दौरे को बीच में छोड़कर जाने से भारतीय क्रिकेट बोर्ड ही नहीं बल्कि पूरा क्रिकेट जगत हतप्रभ है। यह क्रिकेट के लंबे इतिहास में पहली बार है जब किसी टीम ने वेतन की समस्या के कारण दौरा बीच में ही छोड़ा है। इस घटना से भारतीय क्रिकेट बोर्ड को तो भारी नुकसान हुआ ही है बल्कि भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को भारी निराशा हुई है। भारत और वेस्टइंडीज वन डे में बहुत रोमांच आ रहा था। एक मैच तो मौसम की वजह से रद्द हो गया और अंतिम मैच वेतन की बलि चढ़ गया। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने मंगलवार को वेस्टइंडीज के साथ सभी द्विपक्षीय क्रिकेट दौरे निलंबित कर दिए और भारत दौरा बीच में रद्द करने के लिए उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का भी फैसला किया है। वेस्टइंडीज को आठ अक्तूबर से 19 नवम्बर के बीच भारत में पांच वन डे, एक टी-20 और तीन टेस्ट खेलने थे लेकिन अपने आंतरिक भुगतान विवाद के कारण टीम चार वन डे के बाद दौरा रद्द करके चली गई। बोर्ड ने हालांकि वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों को अगले साल नौ अप्रैल से शुरू होने वाला आईपीएल में खेलने की अनुमति देकर उनके प्रति नरम रवैया अपनाया। आईपीएल चेयरमैन रंजीव बिस्वाल ने संचालन परिषद की बैठक के बाद कहा कि वेस्टइंडीज के खिलाड़ी आईपीएल में खेलेंगे। इसके साथ पैसे के बोलबाले वाली आईपीएल लीग में कैरेबियाई खिलाड़ियों की भागीदारी को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर भी विराम लग गया है। वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड की अपनी समस्याएं हैं। वह घाटा दर घाटा सह रही है। 10 लाख डॉलर की कमी आई है वेस्टइंडीज बोर्ड की कमाई में, 2012 से 2013 के बीच एक साल के भीतर। 2013 में बोर्ड को 58 लाख डॉलर का कुल घाटा उठाना पड़ा था। 35 हजार डॉलर प्रतिदिन टीम को भुगतान करने का बोर्ड के साथ कांट्रेक्ट है। छह सदस्य देश हैं वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड में, बारबेडोस, जमैका, गुयाना, विंबवर्डन आइलैंड और त्रिनिदाद एवं टोबेको। फिलहाल तो उनके सामने सबसे बड़ी समस्या अगले साल शुरू में आस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में संयुक्त रूप से होने वाले क्रिकेट विश्व कप के लिए टीम को तैयार करने की होगी। यह कहा जा रहा है कि खिलाड़ियों के वेतन में इससे 75 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। अब स्थिति यह है कि खिलाड़ी इस करार के रहते विश्व कप में न जाने का फैसला कर सकते हैं। अब सवाल उठता है कि वेस्टइंडीज बोर्ड ने अपने इस अंदरूनी मसले को सुलझाए बगैर टीम को भारतीय दौरे पर भेजा ही क्यों? दूसरे वेस्टइंडीज के खिलाड़ी प्रोटेस्ट करते हुए भी तो दौरा जारी रख सकते थे। बीच दौरे से हटने की घटना को वेस्टइंडीज क्रिकेट में चल रही आपसी तनातनी का नतीजा माना जा रहा है। असल में वहां की क्रिकेट त्रिनिदाद एवं टोबेको और जमैका के धड़ों में बंटी है। इस समय बोर्ड पर जमैका का कब्जा है, इसलिए उन्हें नीचा दिखाने के लिए त्रिनिदाद की क्रिकेट एसोसिएशन के एक पूर्व प्रमुख द्वारा टीम को दौरे से हटने के लिए प्रेरित करने की बात कही जा रही है। कारण चाहे कुछ भी हो पर वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों द्वारा दौरे को बीच में छोड़ना निश्चय ही अशोभनीय है और इसे अंजाम देने वालों को सबक जरूर सिखाना चाहिए।

-अनिल नरेन्द्र

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