Wednesday, 22 October 2014

बच्चों के यौन शोषण की बढ़ती घटनाएं चिन्ता का विषय है

हाल में बच्चों के यौन शोषण की बढ़ती घटनाएं पूरे समाज के लिए एक चिन्ता का विषय बनती जा रही है। आए दिन बच्चों के यौन शोषण की घटनाओं का विवरण पढ़कर दिल बैठ जाता है और समझ नहीं आता कि हमारे समाज को आखिर होता क्या जा रहा है? हाल ही में पश्चिमी दिल्ली के हरी नगर स्थित एक प्ले स्कूल के मालिक के 24 वर्षीय बेटे द्वारा बलात्कार की शर्मनाक घटना सामने आई। बच्ची के शरीर से खून बहता देख परिवार वाले उसे डाक्टर के पास ले गए जहां बच्ची के साथ यौन शोषण की पुष्टि हुई। बताया जाता है कि वह कई दिनों से बच्ची का यौन उत्पीड़न कर रहा था। ऐसा ही दिल्ली के रोहिणी स्थित प्ले स्कूल में भी ढाई साल की एक बच्ची के यौन शोषण का मामला सामने आया। बच्ची के बीमार होने पर जांच में पता चला कि उसका यौन उत्पीड़न हुआ है। पिता की शिकायत पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज करके स्कूल के ही एक कर्मचारी को गिरफ्तार कर लिया। स्कूलों को शिक्षा का मंदिर माना जाता है। बच्चों को स्कूल भेजकर माता-पिता निश्चिंत हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चा वहां अच्छे संस्कार सीखेगा, पढ़-लिखकर न केवल अपने जीवन में सफल होगा, पिता से बच्चा आगे बढ़ेगा लेकिन इस विश्वास के साथ जिनके हाथों में वे अपने बच्चों को सौंपते हैं अगर वे हाथ ही उनका भविष्य चौपट करने लगें तो शिक्षा संस्थानों से लोगों का विश्वास उठ जाएगा। अगर स्कूल ही बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं हैं तो वे शिक्षा हासिल करने कहां जाएंगे? महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा करवाए गए एक अध्ययन से इस बात का खुलासा हुआ कि भारत में प्रत्येक तीन में से दो स्कूली बच्चों का यौन शोषण होता है और शारीरिक शोषण के शिकार होते हैं। सबसे ज्यादा यौन शोषण पांच से 12 वर्ष के बच्चों का होता है। शोषण के शिकार 70 प्रतिशत बच्चे अपने माता-पिता से यह बात नहीं कह पाते। राजधानी में बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए महिला एवं बाल विकास ने एक विशेष प्रशिक्षण व जागरुकता का मॉड्यूल तैयार किया है। इस मॉड्यूल के तहत बच्चों को उनकी आयु के अनुरूप प्रशिक्षण दिया जाएगा और उन्हें चुप्पी तोड़कर आवाज उठाने की सीख दी जाएगी। इस कड़ी में जल्द ही ब्रेन टार्मिंग कार्यक्रम शुरू होगा। जागरुकता मॉड्यूल के अंतर्गत बच्चों की आयु के हिसाब से तीन ग्रुपों में विभाजित कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। आयु के हिसाब से पांच से आठ साल, नौ से 12 साल और 12 से 18 साल के समूह बनाकर बच्चों को सशक्त करने की योजना बनाई गई है। बच्चे देश का भविष्य होते हैं लेकिन आज वे असुरक्षा के जिस माहौल में जी रहे हैं उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि हमारे देश का भविष्य कितना सुरक्षित है। बचपन से यौन शोषण का शिकार हुए बच्चे वयस्क होने पर भी उसके प्रभाव से मुक्त नहीं हो पाते। बच्चों की तस्करी, गायब होने, अपहरण और हत्याओं के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सरकारें तो अपना काम कर ही रही हैं पर जब तक हमारा समाज अपनी मानसिकता नहीं बदलता  तब तक इस बढ़ती समस्या से निजात पाना मुश्किल लगता है। हमारे प्रधानमंत्री को बच्चे बहुत प्यारे हैं, हम उम्मीद करते हैं कि वह इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाएंगे और बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने का प्रयास करेंगे।
-अनिल नरेन्द्र


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