Friday, 31 October 2014

यहां महिला को बलात्कार से आत्मरक्षा करने पर फांसी दी जाती है

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तमाम प्रयासों के बावजूद 26 वर्षीय ईरानी महिला रेहाना जब्बारी को नहीं बचाया जा सका। अपने साथ बलात्कार करने की कोशिश करने वाले शख्स को जान से मार देने के आरोप में करीब सात साल से जेल की सजा काट रही रेहाना को 25 अक्तूबर को फांसी दे दी गई। रेहाना ने फांसी से पहले अपनी मां को एक पत्र लिखकर अपनी मौत के बाद अंगदान की इच्छा जताई। दिल दहला देने वाला यह पत्र अप्रैल में ही लिखा गया था लेकिन इसे ईरान के शांति समर्थक कार्यकर्ताओं ने रेहाना को फांसी दिए जाने के एक दिन बाद यानि 26 अक्तूबर को ही सार्वजनिक किया। रेहाना की मां ने जज के सामने पूर्व खुफिया एजेंट मुर्तजा अब्दोआली सरबंदी की हत्या के आरोप में अपनी बेटी रेहाना की जगह खुद को फांसी दे दिए जाने की गुहार लगाई थी। रेहाना ने 2007 में अपनी रसोई के कमरे में चाकू से बलात्कार का प्रयास करने वाले खुफिया एजेंट पर वार किया था जिसमें उसकी मौत हो गई थी। कार्यकर्ताओं ने कहा कि रेहाना की मां को अपनी बेटी से अंतिम बार एक घंटे के लिए मिलने दिया गया था, तब उन्हें बताया गया था कि कुछ घंटों पहले उन्हें इस बारे में इत्तिला कर दिया जाएगा। कोर्ट के आदेश के मुताबिक साल 2007 में जब्बारी ने सरबंदी पर जिस चाकू से वार किया था, वह दो दिन पहले ही खरीदा गया था। जब्बारी को साल 2009 में सोची-समझी हत्या का दोषी पाया गया था लेकिन मामले में सजा ईरान के सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस फैसले पर मुहर लगाए जाने के बाद सुनाई गई थी। न्याय मंत्री मुस्तफा पी. मोहम्मदी ने अक्तूबर में इशारा किया था कि इस मामले का खुशनुमा अंत हो सकता था लेकिन सरबंदी के परिजनों ने जब्बारी की जान बचाने के लिए पैसे लेने का प्रस्ताव ठुकरा दिया। मानवाधिकार संगठन ऐमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस आदेश को बिल्कुल गलत ठहराया। ऐमनेस्टी ने कहा कि हालांकि जब्बारी ने सरबंदी को रेप करते वक्त चाकू मारे जाने की बात स्वीकार की लेकिन उसकी (सरबंदी की) हत्या में मौजूद एक अन्य व्यक्ति ने की थी। हम ईरानी के जस्टिस सिस्टम पर टीका-टिप्पणी नहीं करना चाहते पर इतना जरूर कहेंगे कि आत्मरक्षा के लिए, आत्मसम्मान के लिए अगर कोई महिला बचाव करती है तो उसे फांसी नहीं दी जानी चाहिए। उसने कोई सोची-समझी रणनीति के तहत हमला नहीं किया और न ही उसको इससे कोई फायदा होने वाला था। यह ठीक है कि अपने बचाव में उस अभागी महिला ने जो वार किया उसमें हमलावर की मौत हो गई पर उसने इरादतन हत्या नहीं की। उसने अपने बचाव के लिए यह कदम उठाया था। इस सजा का मतलब यह भी निकलता है कि महिला अपने आत्मसम्मान, आत्मरक्षा में कोई कदम न उठाए और बलात्कारी को उसका काम पूरा करने दे? बहुत ही दुखद किस्सा है।

-अनिल नरेन्द्र

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