क्या हरियाणा और महाराष्ट्र
में भाजपा को मिली जीत का असर दिल्ली पर पड़ेगा? क्या पार्टी अब दिल्ली में भी चुनाव करवाएगी? यह पश्न
सियासी गलियारों में उत्सुकता से पूछा जा रहा है। महाराष्ट्र तो दिल्ली से थोड़ा दूर
है इसलिए इसका तो राजधानी पर क्या असर पड़ेगा पर हरियाणा तो दिल्ली से सटा हुआ है और
हरियाणा में बहुमत मिलने से भाजपा की दिल्ली इकाई जरूर आशावान हो गई होगी। पार्टी अभी
तक जो संशय में थी उसका कुहासा पूरी तरह से छूट गया होगा। मजेदार बात यह है कि दिल्ली
विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियां तैयार हैं। दिल्ली विधानसभा की सबसे बड़ी पाटी
भाजपा और दूसरे नंबर की आम आदमी पार्टी ही नहीं कांग्रेस के नेता भी चुनाव में जाने
को तैयार हैं। विधानसभा भंग करने की सिफारिश के लिए किसके आदेश का इंतजार है,
यह कोई नहीं जानता। अंतिम फैसला उपराज्यपाल नजीब जंग को लेना है। ऐसे
में 28 नवंबर को सुपीम कोर्ट में मामले की सुनवाई पर भी ध्यान
रखने की जरूरत है। भाजपा के लिए सबसे ज्यादा हौसला बढ़ाने के लिए दिल्ली से सटे हरियाणा
के परिणाम हैं, जहां पिछले विधानसभा चुनावों में तमाम कोशिशों
के बाद भी भाजपा दो अंकों तक नहीं पहुंच पाई थी और पार्टी पांच सीटों पर ही सिमट गई
थी। इस बार अपने बलबूते पर वह इस राज्य में पूर्ण बहुमत हासिल करने में सफल रही। दोनों
राज्यों के परिणाम दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पाटी के लिए शुभ संकेत नहीं हैं।
पाटी के रणनीतिकार तो यह मानकर चल रहे हैं कि वर्तमान हालातों में हम 32 से बढ़कर 60 सीटों तक भी पहुंच जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं
होना चाहिए। दूसरी ओर कांग्रेस (दिल्ली) के मुख्य पवक्ता मुकेश शर्मा सवाल करते हैं कि देश में अगर नरेंद्र मोदी की लहर है तो भाजपा
दिल्ली में विधानसभा भंग क्यों नहीं करती? उन्होंने कहा कि कांग्रेस
हर समय चुनाव में जाने को तैयार है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा में एक बड़ा गुट चुनाव
में जाना चाहता है लेकिन पाटी में महाराष्ट्र और हरियाणा में मुख्यमंत्री को लेकर चल रही उथल-पुथल शांत होने से पहले दिल्ली की तरफ राष्ट्रीय नेतृत्व का ध्यान नहीं है।
तर्क दिया जा रहा है कि दोनों राज्यों में मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद कोई फैसला
लिया जाएगा। अब जब हरियाणा के मुख्यमंत्री का फैसला हो गया है अब महाराष्ट्र में सब
कुछ तय होने के तुरंत बाद दिल्ली की विधानसभा भंग करने की घोषणा हो सकती है। इधर आम
आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर पचार में तेजी लाने के लिए सोशल
मीडिया का सहारा लिया है। केजरीवाल ने दिल्लीवासियों को न्यौता दिया है कि वे वाट्सऐप
के जरिए उनसे सीधा जुड़ें। आम लोगों को केजरीवाल के नाम से एसएमएस आ रहे हैं। एक सवाल
यह भी पूछा जा रहा है कि अगर विधानसभा चुनाव हुए तो कौन लीड करेगा? यह सवाल अब सत्ता के गलियारों में तैर रहा है कि क्या भाजपा आलाकमान चुनाव
के दौरान ही संभावित मुख्यमंत्री का ऐलान कर देगा या वह हरियाणा और महाराष्ट्र की तरह
बिना पादेशिक चेहरे के विधानसभा चुनाव का सामना करेगा? फिर अगर
चुनाव होते हैं तो कब होंगे, यह सवाल भी पूछा जा रहा है?
भाजपा के नेता फरवरी के महीने को चुनाव के लिए बेहतर मानकर चल रहे हैं
क्योंकि उस समय न तो दिल्ली में बिजली-पानी की किल्लत होगी और
सब्जियों के दाम भी कम हो जाएंगे और माहौल भाजपा के पक्ष में नजर आएगा लेकिन पाटी का
एक खेमा अभी भी यह कह रहा है कि महाराष्ट्र व हरियाणा के नतीजों के बाद आम आदमी पाटी
में भगदड़ मच जाएगी और कोई बड़ी बात नहीं कि इस पाटी के 28 में
से करीब 20 विधायक बिना शर्त भाजपा में शामिल हो जाएंगे क्योंकि
उन्हें लगेगा कि भाजपा में जाने से उनका राजनीतिक भविष्य व सदस्यता 4 वर्ष तक सुरक्षित हो जाएगी। लगता यह है कि कोई भी मौजूदा विधायक चुनाव में
जाने को तैयार नहीं और सभी चाहते हैं कि दिल्ली में सरकार बन जाए और वह चुनाव में जाने
से बच जाएं। देखे, भाजपा आलाकमान क्या फैसला करता है?
-अनिल नरेंद्र
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