भारतीय
जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी एक बार फिर विवादों
के घेरे में हैं। पिछला विवाद दो वर्ष पूर्व तब खड़ा हुआ था जब वह पार्टी के राष्ट्रीय
अध्यक्ष थे। अपने परिवार के स्वामित्व वाले
`पूर्ति समूह' से जुड़ा विवाद तब इतना जोर पकड़
गया था कि गडकरी को अपने
पद से हटना पड़ा था। अब ताजा विवाद तब हुआ जब नितिन गडकरी ने लातूर जिले में एक जनसभा
को संबोधित करते हुए कहा कि वोटर पैसे और सामान किसी से भी लें मगर वोट भाजपा को ही
दें। बीच चुनाव उन्होंने पत्रकारों और मतदाताओं को राजनेताओं से प्रलोभन पैसे जो मिले
सब लेने की बात कह अपना सिर स्वयं ही ओखली में डाल दिया है। अब जब चोट पड़ रही है तो हमेशा की
तरह दाएं-बाएं हो रहे हैं। `मैंने यह कहा
था और इसका अर्थ वो नहीं है जो आप लगा रहे हैं' जैसी बातें करके गडकरी मीडिया,
मतदाता और देश को भरमाने की कोशिश में लगे हैं जबकि सच सबके सामने है।
देश का बच्चा-बच्चा जानता है कि राजनीतिक दल चुनाव के समय कैसे
मतदाता को भ्रष्ट तरीकों से पटाने की कोशिश करते हैं। चुनाव आयोग ने इसे आचार संहिता
का उल्लंघन मानते हुए सोमवार को गडकरी को नोटिस जारी कर दिया है जिसका उन्हें बुधवार
तक अपनी सफाई देने को कहा है। लातूर जिला निर्वाचन अधिकारी ने गडकरी के मराठी भाषण
की वीडियो रिकार्डिंग और उसका अंग्रेजी अनुवाद भी चुनाव आयोग को भेजा है। इसमें वह
कह रहे हैं कि आप लोगों को अगले 10 दिनों में लक्ष्मी दर्शन का मौका मिलेगा। खास लोगों को विदेशी मिलेगी, आम
लोगों को लोकल ब्रांड।... आपको जो मिलता है रख लीजिए। यही वह समय है, जब गैर
कानूनी रूप में कमाया धन गरीबों तक पहुंचता है, इसलिए लक्ष्मी को न मत कहना। लेकिन वोट
देते समय सोचना। आपका
वोट महाराष्ट्र के विकास के लिए होना चाहिए। इससे पूर्व शनिवार को तटीय कोंकण के सावंतवाड़ी की जनसभा में भी उन्होंने इसी तरह की बातें कही
थीं। उस जनसभा में पत्रकारों से कहा था, अगले 10-12 दिनों में आप पत्रकारों को लक्ष्मी दर्शन होंगे। उन्होंने आगे कहा कि चाहे वह रिपोर्टर हो या सम्पादक,
सबके लिए अलग-अलग पैकेज हैं। जो मिले उसे रख लीजिए।
गडकरी अब बैकफुट पर हैं। उन्होंने एक चैनल से बातचीत में कहा कि मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। मैंने लोगों से कहा कि उन्हें ऑफर किए जा रहे पैसों के लिए वोट न करें बल्कि अपने
भविष्य के लिए वोट करें। उन्होंने कहा कि लक्ष्मी से उनका मतलब देवी लक्ष्मी की पूजा से था न कि पैसे
से। गडकरी शायद यह भूल गए कि अब वह विपक्ष में नहीं सत्ता में हैं और एक केंद्रीय मंत्री
हैं। अब उनकी जिम्मेदारी है कि ऐसी बातें करने से बचें। देखना अब यह है कि क्या चुनाव आयोग इस मामले का
संज्ञान लेता है? एक और घटना में पुणे के शिक्षक नगर में सोमवार
देर शाम एक चुनावी सभा में नितिन गडकरी पर एक अज्ञात व्यक्ति ने जूता फेंकने का प्रयास
किया। वह अभी मंच की ओर बढ़ ही रहे थे तभी एक व्यक्ति ने पीछे से उनकी ओर जूता उछाला। भाजपा कार्यकर्ताओं ने उसे
पकड़ लिया और उसकी जमकर पिटाई की। नितिन गडकरी जैसे समझदार राजनेता से ऐसी बातों की
कतई उम्मीद नहीं थी।
-अनिल नरेन्द्र
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