Thursday, 2 October 2014

क्या सीबीआई निदेशक रिटायरमेंट तक छुट्टी पर जाएंगे?

सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सिन्हा से जुड़े मामले में व्हिसल ब्लोअर के नाम का खुलासा करने के आदेश को वापस लिए जाने की मांग पर विचार करने और सिन्हा के खिलाफ लगे आरोपों की सुनवाई करने पर सहमति जता दी है। एनजीओ सीपीआईएल ने सिन्हा के आवास के आगंतुक रजिस्टर मुहैया कराने वाले व्यक्ति के नाम का खुलासा करने वाले आदेश वापस लिए जाने की मांग की है। इस रजिस्टर में सिन्हा के घर पर 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला घोटाले के अभियुक्तों व उनके करीबियों के साथ उनकी मुलाकात को दर्शाया गया है। जस्टिस एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले की सुनवाई के लिए नियुक्त विशेष सरकारी अभियोजक (एसपीपी) आनंद ग्रोवर से राय मांगी। एनजीओ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण ने व्हिसल ब्लोअर के नाम का खुलासा करने में अपील अक्षमता को लेकर अदालत से बिना शर्त माफी मांगी। दवे ने कहा कि यह सीबीआई निदेशक के चरित्र हनन का प्रयास नहीं है। अदालत को उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को देखना चाहिए, जिनकी जांच किए जाने की जरूरत है। तब पीठ ने एनजीओ के उस आवेदन पर भी सुनवाई करने की सहमति जताई जिसमें अदालत से अपील की गई है कि वह व्हिसल ब्लोअर को लेकर आदेश वापस लें। वहीं अदालत ने सीबीआई निदेशक के अधिवक्ता विकास सिंह के इस आग्रह को अस्वीकार कर दिया कि दस्तावेजों को लीक करने वाले भेदियों के नाम का खुलासा करने से एनजीओ के इंकार करने पर सुप्रीम कोर्ट को आगे मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख और फजीहत से बचने के मद्देनजर संभव है कि रंजीत सिन्हा लंबी छुट्टी पर चले जाएं। सिन्हा अपनी पत्नी के साथ आठ से 13 अप्रैल तक इटली और वैटिकन सिटी की यात्रा पर थे, लेकिन गेस्ट लिस्ट में मुलाकात करने वालों की एंट्री को आधार बनाया जा सकता है। वकील प्रशांत भूषण की ओर से सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई कथित गेस्ट लिस्ट में ऐसे कुछ लोगों के नाम भी मौजूद हैं जो उनकी अनुपस्थिति में सिन्हा के सरकारी आवास गए और करीब दो  घंटे का समय बिताया। इस मामले में एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि विभिन्न जांच एजेंसियों की आपसी कलह और प्रतिस्पर्धा का सबसे ज्यादा फायदा कारपोरेट घराने उठा रहे हैं। सीबीआई, आयकर विभाग और  प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ-साथ नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) का कार्यालय भी जांच एजेंसियों की आपसी प्रतिस्पर्धा से अछूता नहीं है। मांस निर्यात व एएमक्यू के मालिक मोइन कुरैशी से संबंधित आयकर विभाग की फाइल पाने के लिए सीबीआई का हर संभव प्रयास इसी का नतीजा है। आयकर विभाग द्वारा सीबीआई से जानकारी साझा न करने का फैसला भी रंजीत सिन्हा की सिरदर्दी बढ़ा रहा है। सिन्हा की लड़की रायपुर में रहती है और लड़का हालैंड में। सूत्रों के मुताबिक गेस्ट  लिस्ट में करीब दो दर्जन ऐसी गाड़ियों की एंट्री है जिनके रजिस्ट्रेशन नम्बर की तस्दीक ट्रांसपोर्ट विभाग नहीं कर पा रहा है। सीबीआई की अंदरूनी जांच में अब तक यह  गुत्थी नहीं सुलझ पाई कि आखिर किसने पिछले 15 महीने से यह गेस्ट लिस्ट तैयार की और उसे प्रशांत भूषण तक पहुंचाया।

-अनिल नरेन्द्र

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