Thursday 9 October 2014

हताश पाकिस्तान खून-खराबे पर आमादा हो गया है

संयुक्त राष्ट्र महासभा में मुंह की खाने और कश्मीर राग में विश्व समुदाय की ओर से कोई दिलचस्पी न दिखाए जाने से खिसियाई पाकिस्तान की सेना भारतीय सीमांत इलाके में खून-खराबे पर आमादा हो गई है। कश्मीर पर अंतर्राष्ट्रीय समर्थन तो क्या हमददी के दो बोल के लिए भी तरसा पाकिस्तान सीमा के पास जिस तरह निर्देष, निहत्थे ग्रामीणों का खून बहाने पर उतर आया है वह भारत को पड़ोसी देश से सख्ती से निपटने पर मजबूर कर रहा है। बौखलाई पाकिस्तानी सेना ने मंगलवार को लगातार दूसरे दिन भी जम्मू और पुंछ में ताबड़तोड़ गोलीबारी जारी रखी। पड़ोसी मुल्क ने जम्मू में 40 और पुंछ में 30 चौकियों को मिलाकर करीब 70 सुरक्षा ठिकानों को निशाना बनाया। 40 से अधिक रिहायशी इलाकों में भी मोर्टार के गोले बरसाए गए। इसमें सेना के तीन जवानों व बीएसएफ के एक असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर सहित 16 लोग घायल हो गए। कई मवेशी मारे गए और घरों को काफी नुकसान पहुंचा है। पिछले दो दिनों की गोलीबारी में 5 लोगों की मौत भी हो गई है और 45 लोग घायल हुए हैं। 30 से ज्यादा गांव खाली करवा लिए गए हैं और लोगों को सरकारी स्कूलों व राहत शिविरों में ठहराया गया है। कहावत है कि लातों का भूत बातों से नहीं मानता। ठीक इसी तरह का रवैया पाक ने अपना रखा है। इसमें संदेह है कि वह समझाने-बुझाने से सही रास्ते पर आएगा। देश और दुनिया के लिए यह जानना भी कठिन है कि सीमा पर जो हो रहा है वह केवल पाकिस्तानी सेना या जेहादी संगठन की सनक का परिणाम है अथवा इसमें पाकिस्तान सरकार की भी हिस्सेदारी है? पाक के पधानमंत्री नवाज शरीफ अभी तक ऐसा कुछ नहीं कर सके हैं जिससे हमें भरोसा हो कि उनका अपनी सेना पर कोई नियंत्रण है। भारत ने अब तक बहुत संयम बरता है और मामले को तूल देने से बचने का रवैया अपनाया है। पर अब नहीं लगता कि पाकिस्तान बाज आएगा इसलिए भारत के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं पर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब कुछ इस तरह से दे कि वह इस तरह की हरकतों से बाज आए। विशेषज्ञों का मानना है कि पाक सेना व जेहादी संगठन मिलकर जहां घुसपैठ कराना चाहते हैं वहीं कहीं न कहीं जम्मू- कश्मीर विधानसभा चुनावों में भी खलल डालना चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने बार-बार चुनावों में खुलकर हिस्सा लेने से साफ कर दिया है कि वह पाकिस्तान की चालों को समझते हैं और वोटों के माध्यम से उन्हें नकारते हैं। सीमा पर रहने वाले आम नागरिकों को जो नुकसान हो रहा है वह बेहद दुखद है। भारत को पाकिस्तान को यह स्पष्ट संकेत देना ही होगा कि वह जिस रीति-नीति पर चल रहा है उससे अंतत-नुकसान ही उठाना पड़ेगा। अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर गोलीबारी की ताजा घटनाओं के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक दल की भूमिका पर भी भारत को विचार करना होगा क्योंकि यह समूह किसी काम का नहीं जान पड़ रहा है। खून- खराबे पर आमादा पाकिस्तान को उसी की जुबान से जवाब देना होगा। मोदी सरकार को भी साबित करना होगा कि उनकी कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं है।

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