Saturday 4 October 2014

बेइमानी से हरा दें तो रोने के सिवाय बचता क्या है?

नारी की शक्ति रूप पूजन नवरात्र के पावन पर्व पर दक्षिण कोरिया के इंचियोन में चल रहे एशियन गेम्स में भी बुधवार को इस शक्ति के दो  अदम्य रूप देखने को मिले। एक तरफ तीन बच्चों की सुपर मॉम मेरी कॉम, टिटू लूका, अन्ना रानी और महिला हॉकी की टीम ने पदक जीतकर तिरंगे का मान बढ़ाया तो दूसरी ओर विवादास्पद हार के विरोध में कांस्य पदक लौटाकर बॉक्सर सरिता देवी ने यह साबित कर दिया कि नारी अन्याय के विरुद्ध आवाज बुलंद करने में पीछे नहीं हटेगी। दक्षिण कोरिया की छवि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छे बॉक्सर पैदा करने वाले देश की है लेकिन सरिता देवी को जीती हुई बाजी हार में  बदलने की किसी को उम्मीद नहीं थी। एक तरह से सरिता देवी की जीत पर पक्षपाती फैसले से यह एशियन गेम्स विवादों में फंस गया। इससे बॉक्सिंग रिंग में हो रहे फैसलों पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया और मंगलवार को कई हंगामे देखने को मिले। यह पहली बार नहीं हुआ। एल. देवेन्द्राs सिंह कोरियाई मुक्केबाज के हाथों ठीक इसी तरह क्वाटर फाइनल हारे थे। सरिता देवी की इस फाइट में पहले राउंड में मुकाबला काफी करीबी रहा, दोनों मुक्केबाजों ने एक-दूसरे के खिलाफ जमकर मुक्के बरसाए। पहला राउंड कोरियन बॉक्सर के हक में गया। दूसरे राउंड में भारतीय मुक्केबाज ने शानदार वापसी की। उनका बायां हाथ लगातार कोरियाई मुक्केबाज की ठुड्डी पर लग रहा था। बीच में उनके करारे घूंसे से कोरियाई खिलाड़ी के नाक से खून भी बहने लगा। भारतीय बॉक्सर इतनी आक्रामकता से सटीक घूंसे जड़ रही थी कि पार्प को बचाव पर उतरना पड़ा। सरिता को लेकर दूसरे राउंड में जजों का फैसला बंटा हुआ था। तीसरे व चौथे राउंड में कहानी एकदम बदल गई। सरिता का शानदार खेल जजों को प्रभावित नहीं कर पाया, जिन्होंने तीसरे और चौथे राउंड में दक्षिण कोरियाई बॉक्सर को विजेता घोषित कर दिया जबकि वह लगातार सरिता के घूंसों से जूझ रही थी। जब पार्प को विजेता घोषित किया गया तो सरिता सहित दर्शक व कमेंट्री करने वाले स्तब्ध रह गए। सरिता को हारा हुआ बताए जाने के बाद उनके पति और पूर्व फुटबाल खिलाड़ी थोइबा सिंह अधिकारियों पर चिल्लाने लगे यहां कुछ भी ठीक नहीं है। आखिर यहां चल क्या रहा है। सरिता ने मुकाबला जीता और मैच कोरिया के नाम कर दिया। यह सीधे धोखाधड़ी का मामला है। फैसले के बाद सरिता देर रात तक रोती रही। बाद में उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग के लिए साल भर के बच्चे तक को दूर रखा। ऐसे में जब कोई बेइमानी करके हरा दे तो रोने के सिवाय क्या बच जाता है। 32 साल की सरिता एक साल पहले ही मां बनी थी। फैसले के विरोध में बुधवार को मेडल सेरेमनी में पोडियम पर पदक पहनने से भी सरिता ने इंकार कर दिया। वह अपने खिलाफ जीतने वाली दक्षिण कोरियाई मुक्केबाज जिना पार्प को पदक सौंप कर रोती हुई चली गई। एक बड़ी विडंबना तब सामने आई जब इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए सरिता ने पत्रकारों और अपने साथियों की मदद से जरूरी पांच सौ की राशि भी जमा कर ली, लेकिन भारतीय ओलंपिक संघ ने उनसे अपना पल्ला झाड़ लिया। यह व्यवहार हमारे खिलाड़ियों के प्रति भारतीय खेल के कर्ताधर्ताओं द्वारा घोर उपेक्षा  के रुख को भी दर्शाता है।

-अनिल नरेन्द्र

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