Wednesday, 1 October 2014

जमे हुए 50 से अधिक नौकरशाहों का स्थानांतरण

किसी भी सरकार के सफल होने में नौकरशाहों का बहुत बड़ा योगदान होता है। प्रधानमंत्री, मंत्री नीतियां तय कर देते हैं पर उन्हें जमीन पर उतारने के लिए नौकरशाही बहुत हद तक जिम्मेदार होती है। मोदी सरकार में तो यह बात इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि नरेन्द्र मोदी अपने मंत्रियों से ज्यादा नौकरशाहों पर भरोसा करते हैं। जहां मोदी विदेश नीति में नए कीर्तिमान बना रहे हैं वहीं घरेलू मोर्चे पर उनका ग्रॉफ नीचे गिर रहा है। इसका एक  बड़ा कारण यह है कि वह उसी नौकरशाही से काम चला रहे हैं जो यूपीए के समय में थी। जो सचिव इत्यादि मनमोहन सिंह सरकार में काम कर रहे थे वही मोदी सरकार में काम कर रहे हैं। सीधा-सा सवाल है कि जिनकी वजह से मनमोहन सरकार हारी वह अब मोदी सरकार के लिए कैसे अच्छे परिणाम दे सकते हैं। नौकरशाह किसी जवाबदेही में यकीन नहीं करते। वह जनता को जवाबदेह नहीं होते इस वजह से उन्हें जमीनी स्तर के हालातों में कोई दिलचस्पी नहीं होती। वह तो सिर्प किताबी फॉर्मूलों पर काम करते हैं। जब तक मोदी ऐसे अफसरों को महत्वपूर्ण पदों पर से नहीं हटाते तब तक महंगाई जैसे ज्वलंत मुद्दे पर काबू नहीं पाया जा सकता। अब जाकर मोदी सरकार जागी है और उसने आधी रात के बाद अचानक 50 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों का ट्रांसफर किया है। हाल के दिनों में केंद्र में एक साथ इतने बड़े पैमाने पर वरिष्ठ अफसरों का स्थानांतरण नहीं किया गया था। ऐसे में यह केंद्र सरकार द्वारा उठाया गया एक बड़ा कदम माना जाएगा। सूत्रों का कहना है कि जिन अफसरों का  ट्रांसफर किया गया है उनमें 40 भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। इनके साथ ही भारतीय राजस्व सेवा, भारतीय पोस्टल सेवा, भारतीय वन सेवा और भारतीय सिविल एकाउंट्स सेवा के साथ अन्य अफसर शामिल हैं। इनमें से कई अधिकारी विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव के  पद पर तैनात थे। सूत्रों की मानें तो इस तरह से बड़ी संख्या में अफसरों के तबादले उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में ही एक साथ किए जाते हैं। चुनाव के बाद इस बात की चर्चा थी कि सचिव स्तर के अधिकारियों के व्यापक तबादले होंगे लेकिन इसके क्रियान्वयन में 100 दिन से ज्यादा का समय लग गया है। सरकार ने जहां इन तबादलों को रुटीन बताया है, वहीं लोग इसे अफसरों की कार्यक्षमता से भी जोड़ रहे हैं। इसके साथ ही इन तबादलों को खास पदों के लायक अफसरों का नहीं पाया जाना तथा उनकी पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के साथ निकटता को भी ध्यान में रखा गया है। गत दिनों देश के मुख्य सतर्पता (सीवीसी) प्रदीप कुमार ने सरकारी महकमों में पनप रहे भ्रष्टाचार और शिकायतों पर कार्रवाई न करने के लिए जिम्मेदार अफसरों को जमकर फटकार भी लगाई थी। सीवीसी ने सिफारिशें भी कीं। शिकायतों के निपटारे में गरीब आदमी पर फोकस हो। आकस्मिक निरीक्षण होना चाहिए। तेजी से उदाहरण पेश करने वाले दंड दिए जाने चाहिए। तय दंड को कम न करें उच्च अधिकारी। समयबद्ध तरीके से, तेजी से हो कार्रवाई। देखें, इन तबादलों और सीवीसी की सिफारिशों से मोदी सरकार पर क्या असर पड़ता है?

-अनिल नरेन्द्र

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