Friday, 10 October 2014

सीमा पर युद्ध जैसी स्थिति बनाने के पीछे पाकिस्तान के उद्देश्य?

जम्मू के साथ लगते पाकिस्तान के 200 किलोमीटर लंबे इंटरनेशनल बार्डर पर सैकड़ों स्थानों पर एक साथ मोर्टार और तोपखानों के गोले लगातार बरसा कर पाकिस्तानी सेना ने युद्ध छेड़ दिया है। ताजा गोलाबारी में दो और महिलाओं की मौत हो गई है, 40 अन्य जख्मी हो गए हैं। मोर्टार तथा तोपखानों के गोलों की  बरसात से दर्जनों घर तबाह हो गए हैं। भारत ने भी जवाबी कार्रवाई की है। अगर पाक मीडिया की बात मानें तो सियालकोट सेक्टर में भारत ने जबरदस्त फायरिंग की है और इससे कई पाकिस्तानी  नागरिक व सैनिक मरे हैं और घायल हुए हैं। बुधवार को मैंने जियो टीवी चैनल पर इसी बार्डर वारदातों पर एक परिचर्चा में भाग लिया था। परिचर्चा में एक रिटायर्ड सेना के कर्नल सहित  भाजपा, कांग्रेस व शिवसेना के प्रवक्ता भी थे। कई थ्यौरियां चर्चा में उभरीं कि आखिर  पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर हमले क्यों बढ़ा दिए हैं? मेरा मानना है कि जबसे नरेन्द्र मोदी की सरकार सत्ता में आई है तभी से पाकिस्तानी सेना बौखला गई है। पाकिस्तान में यूं तो कहने के लिए एक लोकतांत्रिक चुनी गई नवाज शरीफ सरकार है पर यह नाम की रह गई है। नवाज शरीफ तो इस्लामाबाद में अपने निवास में छिपे बैठे हैं और खुद अपनी सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी सेना पर निर्भर हैं। नरेन्द्र मोदी की सरकार को पाकिस्तान खासतौर पर पाक सेना पचा नहीं पा रही है। फिर भारत के प्रधानमंत्री ने पहले चीन को फिर अमेरिका को इस स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है कि वह अब खुलकर पाकिस्तान का पक्षपात नहीं कर रहे हैं। न्यूयार्प में पहले संयुक्त राष्ट्र संघ और फिर राष्ट्रपति ओबामा के सामने यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान की सेना वहां की सियासत पर हावी है और पाकिस्तान को अलग-थलग करने में सफल रहे मोदी से वह बौखला गए हैं। पहली बार लश्कर--तैयबा, जैश--मोहम्मद व दाऊद इब्राहिम का नाम खुले तौर पर पाकिस्तानी आतंकी संगठन के  रूप में लिया गया है। पाकिस्तान ने मोदी सरकार के आने के बाद से हमले तेज क्यों किए हैं? और वह भी जब महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव हो रहे हैं तब? इसके पीछे एक कारण यह हो सकता है कि पाकिस्तान चाहता है कि नरेन्द्र मोदी व उनकी पार्टी इन दोनों राज्यों में चुनाव हार जाएं। अगर ऐसा होता है तो मोदी की व्यक्तिगत छवि गिरेगी और वह कमजोर होंगे और पाकिस्तान यही चाहता है कि वह और ताकतवर न हों। फिर दूसरी बात यह है कि पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण  करने में लगा रहता है। नवाज शरीफ ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाया और मुंह की खाई। अब वह यूएन में शिकायत करने पहुंचा है। मकसद साफ है कि किसी न किसी तरह जम्मू-कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो। एक अन्य कारण यह भी हो सकता है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में विघ्न हो और यहां चुनाव न हों। किसी भी लोकतंत्र में चार स्तम्भ माने जाते हैं। लैजिसलेयर, एक्जीक्यूटिव, ज्यूडिशियरी और मीडिया। पर पाकिस्तान में पांच स्तम्भ हैं। पांचवां स्तम्भ है जेहादी संगठन और कठमुल्ले। लश्कर जैसे संगठन पाक सेना के साथ मिलकर भारत में अस्थिरता फैलाने में विश्वास करते हैं। पिछले 10 साल से यूपीए सरकार के ढुलमुल रवैये के कारण पाकिस्तान के हौंसले बढ़े हुए हैं।  पाक सैनिक हमारे सैनिकों के सिर काट कर ले जाते रहे, उनसे फुटबाल खेलते रहे और मनमोहन सरकार की हिम्मत नहीं हुई किसी भी प्रकार की जवाबी कार्रवाई करने की। पहली बार मोदी सरकार ने सेना और अर्द्धसैनिक बलों को यह निर्देश दिया है कि आप जवाबी कार्रवाई करने के लिए आजाद हैं और आप इन्हें करारा जवाब जरूर दें। अब पाकिस्तान डिफेंस पर है। जंग की चार स्टेज होती हैं। पहली घुसपैठ कराना या इंफिल्ट्रेशन, दूसरी लो इंटेनसिटी  वार, तीसरी पूरी पारंपरिक जंग और आखिरी परमाणु वार। चूंकि दोनों भारत और पाकिस्तानी परमाणु देश हैं, इसलिए बार-बार जब पाकिस्तान को मार पड़ती है  तो वह परमाणु हमले की धमकी  दे देता है। पर इसकी संभावना बहुत कम है कि पाकिस्तान भारत पर न्यूक्लियर वार छेड़ेगा। क्योंकि उसे मालूम है कि अगर उसने ऐसा किया तो संभव है कि भारत के कुछ उत्तरी शहरों को तबाह करने में कामयाब हो जाए पर उसका तो अपना अस्तित्व ही मिट जाएगा। भारत पाकिस्तान को नक्शे से साफ कर देगा, इसलिए हमें तो यही  लगता है कि बहुत  जल्द पाकिस्तान युद्ध विराम के लिए  हाथ-पांव मारेगा और बहुत जल्द यह सीमा पर गोलाबारी थम जाएगी। बाकी तो यह भी है कि पाकिस्तान एक असफल स्टेट है, फेल स्टेट है और वह कुछ भी कर सकता है। पर पहली बार इंदिरा जी के बाद उसे यह अहसास होने लगा है कि मोदी सरकार मनमोहन सरकार नहीं है और वह ईंट का जवाब पत्थर से देगी।

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