Thursday, 2 October 2014

क्या गुल खिलाएगी नेतान्याहू-मोदी मुलाकात

न्यूयार्प में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय समयानुसार सुबह छह बजे इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू से मुलाकात कर नई हलचल पैदा कर दी। भारत का इजरायल के साथ राजनीतिक संबंध तो है लेकिन इजरायल के पीएम से मिलने की परंपरा नहीं रही है। मोदी ने इस मामले में एक नया ट्रेंड स्थापित किया है। नेतान्याहू से मुलाकात के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को और बेहतर  बनाने के साथ ही रक्षा और व्यापार क्षेत्र में सहयोग के नए रास्ते तलाशे गए। इसके साथ ही इस मुलाकात ने भारत की विदेश नीति में परिवर्तन के संकेत की ओर भी इंगित किया है। 11 साल के अंतराल के बाद सोमवार को दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई यह पहली मुलाकात है। समझा जाता है कि पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष के मामले में भारत के रुख में बदलाव आया है। गौरतलब है कि नेतान्याहू ने पहले ही कहा था कि भारत के नए पीएम से मुलाकात को लेकर काफी उत्साहित हैं और वह इस मौके का इंतजार कर रहे थे। यहूदी देश के प्रधानमंत्री ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के लिए अनंत संभावनाएं हैं। नेतान्याहू ने मोदी को करिश्माई नेता तक करार दिया। बैठक संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर न्यूयार्प के पैलेस होटल में हुई। इस दौरान पश्चिम एशिया में इस्लामिक स्टेट द्वारा उत्पन्न स्थिति पर चर्चा हुई। दोनों ही नेता पैलेस होटल में ठहरे हुए थे। 30 मिनट तक चली बैठक के दौरान नेतान्याहू ने मोदी को  जल्द इजरायल आने का आमंत्रण भी दिया। उन्होंने कहाöहम धरती की सबसे पुराने सभ्यताओं से संबंध रखते हैं। हम अपनी परंपरा पर गर्व करते हैं, साथ ही भविष्य को लेकर उत्सुक भी हैं। नेतान्याहू ने मुख्यमंत्री के रूप में इजरायल का 2006 में दौरा भी याद कराया। इस मुलाकात को राजनयिक हलकों में भारत-इजरायल के बीच रिश्तों की नई शुरुआत समझा जा रहा है। समझा जाता है कि इसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इजरायल के विदेश मंत्री अबिगडोल लिबरमान से भेंट करेंगी। पीएम मोदी ने इस मुलाकात के दौरान नेतान्याहू से व्यापार बढ़ाने, कृषि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ एंटी टेरर तकनीकों के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने पर बातचीत की। 11 साल बाद दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई बैठक को कूटनीतिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है। इससे पहले 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्वकाल में तत्कालीन इजरायली प्रधानमंत्री एरियल शेरोन भारत आए थे। भारत और इजरायल के बीच काफी मजबूत संबंध हैं तथा वर्तमान में करीब छह अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार है। इजरायल के जल प्रबंधन तथा कृषि संबंधी क्षेत्रों में विशेषज्ञता की पेशकश भारत के लिए लाभदायक हो सकती है। भारत-इजरायल दोनों के सामने आतंकवाद की समस्या है। इस्लामिक स्टेट के उभरने से इजरायल को तो खतरा है ही साथ ही भारत को भी वह अपनी जद में लपेटना चाहता है। भारत के अरब देशों से भी अच्छे संबंध हैं और वह रहेंगे भी पर इजरायल से भी संबंधों को आगे बढ़ाना खासकर कृषि और आतंकवाद के क्षेत्र में भारत के हित में है।

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