कनाडा की राजधानी ओटावा
में बुधवार को एक आतंकी हमले ने सभी को चौंका दिया। आज दुनिया का कोई देश आतंकवाद से
अछूता नहीं है। अमेरिका से सटे कनाडा में आतंकवादी हमला यह दर्शाता है कि इस्लामिक
आतंकवाद पूरी तरह से वैश्विक हो चुका है। कनाडा की संसद और बाहर दोनों जगहों पर बुधवार
को गोलीबारी हुई। सुरक्षा बलों द्वारा मार गिराए जाने से पहले एक बंदूकधारी ने एक सैनिक
को गोली मार दी। बुधवार को ओटावा में संसद समेत तीन जगहों पर गोलीबारी हुई। सबसे पहले
संसद के पास स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के पास गोलियां चलाई गईं। पहले सैनिक को
मारा गया फिर संसद भवन के अंदर और उसके नजदीक स्थित एक शॉपिंग मॉल को निशाना बनाया
गया। संसद भवन में घुसे एक हमलावर को जवाबी कार्रवाई के दौरान मार गिराया गया। पुलिस
ने कहा है कि इस हमले में एक से अधिक संदिग्ध शामिल थे। यह घटना उस वक्त हुई जब कुछ
घंटे पहले ही कनाडा ने आतंकवाद के खतरे को लेकर अलर्ट बढ़ाया था। सरकार के एक अधिकारी
के मुताबिक इस्लामिक स्टेट और अलकायदा जैसे संगठनों की ऑनलाइन बातें सामने आने के बाद
अलर्ट का स्तर बढ़ाया गया। जानकार दो दिन पहले मांट्रियोल में हुए उस कार हादसे पर भी गौर
कर रहे हैं जिसमें एक व्यक्ति ने दो कनाडाई सैनिकों को कार से कुचल दिया था। उस व्यक्ति
ने इस्लाम धर्म कबूल किया था। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि कनाडाई संसद में घुसे हमलावर
का इस्लामी आतंकवाद से जुड़ाव का फिलहाल कोई संकेत नहीं है। हालांकि सूत्रों का कहना
है कि अभी जांच बिल्कुल शुरुआती दौर में है और नए तथ्य सामने आ सकते हैं। कनाडाई संसद
पर हमले की जब जानकारी अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को दी गई तो उन्होंने पहला काम
यह किया कि कनाडा स्थित अमेरिकी दूतावास को बंद करवाने का आदेश दिया और अमेरिका में
फुल अलर्ट करवा दिया। कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर का टोरंटों में नेबल पुरस्कार
विजेता और पाकिस्तान की साहसी बेटी मलाला यूसुफजई से मिलने का कार्यक्रम था लेकिन इस
हमले के कारण इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया। वैसे यह पहली बार नहीं जब कनाडा की
संसद को निशाना बनाया गया हो। 9 अप्रैल 1989 में एक बस के जरिये कनाडा की संसद जिसे पार्लियामेंट हिल कहा जाता है पर हमले
की साजिश रची गई थी। आतंकी चार्ल्स याकूब ने बस को हमले के इरादे से हाइजैक किया था।
28 अगस्त 2010 को कनाडा में दो आतंकियों की गिरफ्तारी
के बाद सितम्बर-अक्तूबर में संसद हमले की योजना का खुलासा हुआ
था। इस हमले से हमें भारतीय संसद की याद आ गई। 13 दिसम्बर 2001 में भारत की संसद पर लश्कर-ए-तैयबा
और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने हमला किया
था जिसमें दर्जनों की मौत व घायल हुए थे हमारे सुरक्षाकर्मी। इतना तय है कि कनाडा अब
इस्लामी आतंकवादियों के राडार पर आ गया है और वहां की सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त रहना
होगा।
-अनिल नरेन्द्र
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