Friday, 17 October 2014

दिल्ली में बदमाशों का बढ़ता दुस्साहस

राजधानी में बदमाशों के हौंसले कितने बुलंद हैं इसका पता इसी से चलता है कि तीन महीने में तीन पुलिस वालों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। हाई सिक्यूरिटी वाले कनाट प्लेस में दो पुलिसकर्मियों पर फायरिंग के दूसरे दिन आउटर डिस्ट्रिक्ट के विजय विहार इलाके में एक कांस्टेबल को छाती में गोली मार दी गई। ताजा वाकया रविवार देर रात को कांस्टेबल आटो में सवार चार संदिग्ध बदमाशों को थाने ले जा रहे थे तभी उन्हें गोली मारी गई। कांस्टेबल जगबीर सिंह (42) ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, कांस्टेबल नरेन्द्र कुमार (42) जख्मी हो गया। बदमाश दोनों की  रिवाल्वर भी ले गए। रविवार-सोमवार की रात करीब 1.30 बजे आउटर डिस्ट्रिक्ट के विजय विहार इलाके में बाइक से पेट्रोलिंग कर रहे कांस्टेबल जगबीर सिंह और नरेन्द्र सिंह को एल ब्लाक की गली नंबर-1 में एक संदिग्ध आटो नजर आया। आटो की पिछली सीट पर बैठे चार लोगों पर शक गहराया तो जगबीर सिंह और नरेन्द्र उन्हें थाने ले जाने के लिए ड्राइवर के साथ बैठ गए। आटो चला तभी एक बदमाश ने पीछे से ड्राइवर को लात मार दी। आटो रुकते ही  बदमाश भागे। कांस्टेबल जगबीर ने पकड़ने की कोशिश की तो उन्हें गोली मार दी गई। कांस्टेबल नरेन्द्र की पीठ में गोली मारी गई। हरियाणा के भिवानी जिला के कनहरा गांव में 7 अक्तूबर 1972 को जन्मा जगबीर सिंह साहसी था। दिल्ली पुलिस में आने से पूर्व वह 15 साल तक भारतीय सेना में देश की सेवा कर चुका था। सेना से रिटायर होने के बाद 25 मई 2008 को दिल्ली पुलिस में बतौर कांस्टेबल  की नौकरी शुरू की थी। वह बीते डेढ़ साल से विजय विहार थाने में तैनात था। जगबीर सिंह को दो बार सर्वश्रेष्ठ बीट आफिसर का अवार्ड भी मिला था। अधिकारियों के अनुसार गोली लगने के बाद भी जगबीर ने हार नहीं मानी। उसने दो बदमाशों को अपनी बाहों में दबोच लिया था। इस दौरान अन्य बदमाशों ने हथियार के बट से उसके सिर पर कई वार किए। इतना ही नहीं उसके चेहरे पर भी बदमाशों ने घूंसा मारा और फिर उसे आटो से धकेलकर फरार हो गए। नार्दर्न रेंज के ज्वाइंट सीपी आरएस कृष्णैया के मुताबिक जगबीर दिल्ली पुलिस के जाबांज और होनहार कांस्टेबल माने जाते थे। जाहिर है कि ऐसे जाबांज और होनहार कांस्टेबल का जाना एक  बड़ा नुकसान है। पता चला है कि पुलिस ने जगबीर पर गोली चलाने वालों को पकड़ लिया है। पुलिस ने आटो चालक सहित दो युवकों को गिरफ्तार किया है और इस हत्याकांड को सुलझाने का दावा किया है। आरोपियों की पहचान 23 वर्षीय संतोष उर्प लक्की और 32 वर्षीय वेद रामपाल के रूप में की गई है। पुलिस ने आरोपियों से सिपाही जगबीर से लूटी गई रिवाल्वर के अलावा दो कट्टे एवं वारदात में इस्तेमाल आटो बरामद कर लिया है। वारदात को एक सेंधमार ने अंजाम दिया। शाहबाद डेरी निवासी वेद रामपाल आटो चालक है। वह दसवीं कक्षा तक पढ़ा है। वह इस सेंधमार गिरोह को रात के समय लेकर आटो में घूमता था। इसके बदले में उसे रोजाना 500 रुपए मिलते थे। वारदात के लिए निकलते समय उसे बदमाश बुला लेते थे। शाहबाद डेरी इलाके में रहने वाला संतोष बेहद ही शातिर सेंधमार है। वह महज पांचवीं कक्षा तक पढ़ा है। उसके खिलाफ हत्या के प्रयास, लूट और आर्म्स एक्ट के आठ मामले दर्ज हैं। वह डेढ़ माह पूर्व जेल से जमानत पर छूटकर आया था। इस वारदात में घायल हुए कांस्टेबल नरेन्द्र कुमार की हालत स्थिर है। सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती नरेन्द्र को एक-दो दिनों में छुट्टी मिल जाएगी। यह बहुत चिन्ता की बात है कि अपराधियों के हौंसले इतने बुलंद हो गए हैं कि अब वह खाकी वर्दी वालों को भी लगातार निशाना बनाने से नहीं चूकते। जाफराबाद, सीलमपुर, विजय विहार और द्वारका में बदमाशों की गोलियों के शिकार बने पुलिस वाले ड्यूटी पर थे। अमेरिका और यूरोप में पुलिस वाले किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की तलाशी लेने से पहले सतर्पता बरतते हैं। अमेरिका में पुलिस ट्रेनिंग मैनुअल के मुताबिक किसी संदिग्ध को रोकने के बाद और तलाशी लेने से पहले भरपूर एहतियात बरता जाता है, जिससे कि संदिग्ध पुलिस पर हमला न कर पाए। वहां संदिग्ध को रोकने के बाद संदिग्ध पर पिस्तौल तान कर `शो योर हैंडस' और `गेट डाउन ऑन योर नीज' कहते हुए उसके दोनों हाथ कमर पर या उसके सिर के ऊपर रखवा देते हैं। वह संदिग्ध की तलाशी लेते हैं कि कहीं कोई हथियार तो शरीर में नहीं छिपा रखा? दिल्ली में यह नहीं किया जाता। पुलिस वालों पर हर हमले में देखा गया है कि संदिग्धों को पकड़ने के बाद पुलिसकर्मियों ने उन्हें कवर नहीं किया। दिल्ली पुलिस की ट्रेनिंग में ऐसे एहतियात लेने के लिए  बीट अफसरों को आदेश देने होंगे ताकि जगबीर जैसे होनहार बहादुर कांस्टेबल की इस तरह हत्या न हो सके। हम जगबीर को श्रद्धांजलि देते हैं और उनके परिवार को इस भारी क्षति के क्षण में उनका साथ देते हैं।

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