Tuesday, 2 August 2016

हिलेरी बनाम ट्रंप

अमेरिका में फिलाडेल्फिया में डेमोकेटिक सम्मेलन में हिलेरी क्लिंटन का पार्टी का उम्मीदवार बनना इतिहास बनने जैसा है। इतिहास इसलिए कि 227 वर्षों के चुनावी इतिहास में हिलेरी पहली महिला राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं। अब तक एक भी महिला किसी भी पार्टी की उम्मीदवारी नहीं पा सकी। कई महीनों की विवादास्पद मुहिम के बाद अब डेमोकेटिक पार्टी की हिलेरी क्लिंटन और रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप आमने-सामने होंगे। 70 वर्षीय ट्रंप ने मात्र एक साल पहले राजनीति में कदम रखा था और उन्होंने अपने 16 प्राइमरी प्रतिद्वंद्वियों को हराकर रिपब्लिकन पार्टी में हड़कंप मचा दिया। हिलेरी वैसे 2008 में भी उम्मीदवारी की दौड़ में थीं लेकिन बराक ओबामा की वक्तृत्व कला के सामने परास्त हो गईं। उपराष्ट्रपति पद के लिए वर्जीनिया प्रांत के गवर्नर रह चुके सीनेटर टिम केन हिलेरी के साथ हैं। ट्रंप ने उपराष्ट्रपति पद के लिए इंडियाना प्रांत के गवर्नर माइक पेंस को चुना है। अमेरिकी रिवायत के मुताबिक उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनने का काम राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के ही जिम्मे होता है यानि केन और पेंस के व्यक्तित्वों का जायजा लेकर हिलेरी और ट्रंप की रणनीतियों का अंदाजा लगाया जा सकता है। वास्तव में संविधान में समानता की बात करना, लिंगभेद को नकारने की धारा लिखने भर से वह जमीन पर नहीं उतरता। आधुनिक शैली के लोकतंत्र में सबसे पुराने माने जाने वाले अमेरिकी लोकतांत्रिक प्रणाली पर यह बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह था जिसे हिलेरी की उम्मीदवारी ने धोया है। हालांकि यह पूर्णता तक तभी पहुंचेगा जब कोई महिला वहां निर्वाचित होकर व्हाइट हाउस तक पहुंच जाए। वैसे भी अमेरिकी महिलाओं ने राजनीति में पुरुषों के समान अधिकार पाने के लिए लंबा संघर्ष किया है। 1920 में संविधान संशोधन करके उन्हें मतदान का हक दिया गया। जैसे उन्होंने यह बाधा पार की वैसे ही एक दिन व्हाइट हाउस का दरवाजा भी उनके लिए अवश्य खुलेगा। डोनाल्ड ट्रंप और हिलेरी क्लिंटन के बीच मुकाबले में किसकी स्थिति बेहतर होगी अभी कहना कठिन है। अमेरिका में होने वाले नियमित सर्वेक्षणों में दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने चल रहे हैं। हिलेरी को अमेरिका के लोग सीनेटर के तौर पर प्रथम महिला के रूप में तथा बतौर विदेश मंत्री काम करते देख चुके हैं। उनकी समझ, काम करने का तरीका तथा विचार सब अमेरिकियों के लिए जाना हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप इस मायने में नए हैं। हालांकि आतंकवाद और मुसलमानों के प्रति उन्होंने जिस आक्रामकता का परिचय दिया है उसके समर्थकों की संख्या भी अमेरिका में काफी है। अन्यथा वह यहां तक भी नहीं पहुंचते। बड़बोले ट्रंप के खिलाफ हिलेरी को मार्च के महीने तक 11 फीसदी की बढ़त हासिल थी। तब से लेकर अब तक ट्रंप का रवैया रत्तीभर नहीं भी बदला है। लेकिन विदेश मंत्री रहते हिलेरी के कामकाज का कच्चा चिट्ठा सामने आने के बाद दोनों में कांटे की टक्कर है।

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