Sunday, 7 August 2016

क्या राजधानी दिल्ली `उड़ता पंजाब' की राह पर चल रही है?

देश की राजधानी दिल्ली में बड़ी मात्रा में तस्करी कर लाई जाने वाली ड्रग्स पकड़ी जा रही है। पिछले दिनों में दिल्ली पुलिस ने दो बड़ी खेप जब्त की हैं। ऐसे में एक बार फिर सवाल उठ रहा है कि क्या राजधानी दिल्ली `उड़ता पंजाब' की राह पर चल रही है? क्या दिल्ली अब ड्रग्स कैपिटल बनती जा रही है? दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मंगलवार को मेफेड्रोन म्याऊं-म्याऊ ड्रग्स की तस्करी में लिप्त अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने 14 किलो ड्रग्स के साथ आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। बरामद ड्रग्स की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत 25 करोड़ रुपए बताई जा रही है। म्याऊं-म्याऊं ड्रग्स का असली नाम मेफेड्रोन है। यह खासतौर से रेब पार्टियों में इस्तेमाल की जाती है। यह खतरनाक ड्रग्स कोकीन का विकल्प भी माना जाता है। युवाओं की नसों में जहर घोलने के लिए खाड़ी एवं यूरोपीय देशों से भेजे जा रहे ड्रग्स के गिरोह में कस्टम अधिकारी भी शामिल हैं। स्पेशल सेल द्वारा पकड़े गए तस्करों के पास से जो ड्रग्स बरामद की गई उसे आईजीआई एयरपोर्ट पर तैनात कस्टम इंस्पेक्टर पुनीत कुमार ने ही गैर-कानूनी तरीके से तस्करों को बेची थी। स्पेशल सेल सूत्रों के अनुसार डीआरआई ने 20 फरवरी 2015 को आईजीआई एयरपोर्ट पर 520 किलो ड्रग्स पकड़ी थी। जिसे डीआरआई ने जब्त किया था। स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार किए गए ड्रग्स तस्कर महेन्द्र सिंह राणा ने पूछताछ में बताया कि उसे 21 किलो ड्रग्स आईजीआई एयरपोर्ट पर तैनात कस्टम इंस्पेक्टर पुनीत कुमार ने उपलब्ध कराई थी। स्पेशल सेल सूत्रों की मानें तो खाड़ी और यूरोपीय देशों से ड्रग्स की तस्करी कोरियर के जरिये होती है या फिर ब्रीफ केस में रखकर तस्कर ड्रग्स लेकर भारत पहुंचते हैं। सेल के अनुसार एयरपोर्ट पर कस्टम अधिकारियों से ड्रग्स तस्करों की साठगांठ के कारण यह पकड़ी नहीं जाती। वहीं ब्रीफकेस में छिपाकर लाने पर स्कैनर में कड़ में नहीं आती। मालखाने में 520 किलोग्राम म्याऊं-म्याऊं रखी हुई थी। इसमें से 18 किलो 200 ग्राम बरामद की गई। रैकेट के सरगना ने अपने ही माल को वापस खरीदा था। कस्टम इंस्पेक्टर को काफी कम कीमत देकर खरीदी गई थी यह ड्रग्स। दिल्ली में ड्रग्स माफिया काफी सक्रिय हैं। उनका टारगेट कॉलेज व हॉस्टल हैं। वे दोस्तों के रूप में पहुंचकर ड्रग्स सप्लाई शुरू करते हैं। लंबी पहुंच होने के कारण पकड़े भी नहीं जाते। पूरी दिल्ली ड्रग्स कैपिटल दिखती नजर आ रही है। पुरानी दिल्ली का सबसे बुरा हाल है। नशैड़ियों ने पार्कों, चौराहों और धार्मिक स्थलों पर कब्जा कर रखा है। इसमें कोई शक नहीं है कि युवा ड्रग्स की चपेट में हैं। कूड़ा बीनने वाले बच्चों से लेकर रइसजादे तक आदी हैं ड्रग्स के। युवा वर्ग सार्वजनिक जगहों पर सिगरेट में गांजा भरकर पीता नजर आता है।

-अनिल नरेन्द्र

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