Tuesday 23 August 2016

मैंने गायब कराई थी बोफोर्स की फाइल ः नेताजी

नेताजी मुलायम सिंह यादव सनसनीखेज बातों के लिए मशहूर हैं। वह कभी-कभी ऐसी बात कह डालते हैं जिससे विवाद पैदा हो जाता है। ताजा रहस्योद्घाटन में नेताजी ने लखनऊ में बुधवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के 10वें समारोह पर बोलते हुए कहा कि रक्षामंत्री रहते उन्होंने जम्मू-कश्मीर के दुर्गम क्षेत्रों में सेना के हालात देखे हैं। वहां रात गुजारी है। यहां तक तो ठीक था पर उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि बोफोर्स तोप को लेकर राजीव गांधी पर बहुत गंभीर आरोप लगे। हमने इस तोप को चलते देखा है, इसने सीमावर्ती इलाकों में अच्छा काम किया। हमने रक्षामंत्री रहते बोफोर्स तोप मामले को आगे नहीं बढ़ाया। हमने इसकी फाइल ही गायब कर दी। उन्होंने कहाöहमारी राय है कि राजनीतिक लोगों पर मुकदमे नहीं चलने चाहिए। राजनीति आसान काम नहीं है। आप किसी एमएलए को रात के दो बजे भी उठा सकते हैं लेकिन क्या आईएएस और आईपीएस अधिकारी को रात में दो बजे जगा सकते हैं? राजनीतिक लोगों पर बदले की भावना से कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। उन पर मुकदमे नहीं चलने चाहिए। सियासी लोग जेल जाएंगे तो राजनीति कैसे होगी? वैसे तो यह गढ़े मुर्दे उखाड़ने वाली बात है पर तब भी पाठकों को बता दें कि आखिर बोफोर्स तोप मुद्दा क्या था? राजीव गांधी सरकार ने मार्च 1986 में स्वीडन की एवी बोफोर्स से 400 हाविट्जर तोपें खरीदने का करार किया था। तोपों की खरीद में दलाली का खुलासा अप्रैल 1987 में स्वीडन रेडियो ने किया था। रेडियो के मुताबिक बोफोर्स कंपनी द्वारा 1437 करोड़ रुपए का सौदा हासिल करने के लिए भारत के बड़े राजनेताओं और सेना के अफसरों को रिश्वत दी गई। इस खुलासे से भारतीय राजनीति में खलबली मच गई थी। 1989 के लोकसभा चुनाव में बोफोर्स को स्वर्गीय वीपी सिंह ने मुख्य मुद्दा बना दिया। चुनाव में राजीव गांधी सरकार सत्ता से बाहर हो गई। वीपी सिंह राष्ट्रीय मोर्चा (नेशनल फ्रंट) सरकार के प्रधानमंत्री बन गए। 1990 में नई सरकार ने बोफोर्स दलाली की जांच सीबीआई को सौंप दी। कई कानूनी अड़चनों के बाद सीबीआई 1997 में स्वीडन से बोफोर्स दलाली से जुड़े 500 पेज का डाक्यूमेंट लाने में कामयाब रही। इसके आधार पर सीबीआई ने 1999 में विन चड्ढा, ओट्टावियो, क्वात्रोची, पूर्व डिफेंस सैकेटरी एसके भटनागर व अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। चार्जशीट में पूर्व पीएम राजीव गांधी को भी आरोपी बनाया गया था। 2000 में सीबीआई ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की। 2002 में दो मुख्य आरोपियों विन चड्ढा और एसके भटनागर की मृत्यु हो गई। 2004 में दिल्ली हाई कोर्ट ने राजीव गांधी के खिलाफ तमाम आरोपों को खारिज कर दिया। सवाल यह है कि नेताजी ने गढ़े मुर्दे आखिर क्यों ताजा करने की कोशिश की है?

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