Wednesday, 17 August 2016

देशहित में नहीं सुप्रीम कोर्ट व केंद्र सरकार का टकराव

हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति और तबादले को लेकर न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव बढ़ता नजर आ रहा है। ऐसा लगता है कि चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर इस मसले पर केंद्र से आर-पार करने की तैयारी में हैं। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था चरमरा गई है लेकिन केंद्र सरकार फाइलें दबाकर बैठी है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र का यही रवैया रहा तो उन्हें आदेश पारित करने पर मजबूर होना पड़ेगा। चीफ जस्टिस ने अटार्नी जनरल से सीधा सवाल किया कि आखिर फाइलें अटकी कहां हैं और सरकार को कोलेजियम के फैसले पर यकीन क्यों नहीं है? चीफ जस्टिस केंद्र से नाराज हैं उनकी इस टिप्पणी से साफ झलकता है। गौरतलब है कि देश में जजों की कमी और लंबित मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक करीब साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय कोलेजियम के प्रमुख चीफ जस्टिस ने कहा कि हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति और तबादले के लिए 75 नाम सुझाए गए हैं। हाई कोर्ट में 43 फीसद जजों की कमी है। सरकार ने कोलेजियम के सुझाए गए नामों पर हामी क्यों नहीं भरी? पूरा तंत्र ध्वस्त हो रहा है और सरकार इस बारे में चुप्पी साधे बैठी है। हम हालात को उस मुकाम तक नहीं ले जा सकते जहां सब कुछ ठप हो जाए। अगर सरकार को नाम पर आपत्ति है तो फाइल वापस करे, कोलेजियम उस पर फैसला लेगा। लेकिन सरकार फाइल पर बैठकर नाम के प्रस्तावों में देर नहीं कर सकती। यह मामला तब उठा जब चीफ जस्टिस ठाकुर, जस्टिस चन्द्रचूड़ और जस्टिस एएम वीलकर की तीन सदस्यीय पीठ मामलों की सुनवाई में देरी से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। स्वाभाविक है कि दबाव अदालतों पर है और मुख्य न्यायाधीश इससे मुतमईन दिखते हैं। एक वक्त ऐसा भी था जब लंबित केस को लेकर मुख्य न्यायाधीश सार्वजनिक मंच पर अपने आंसू नहीं रोक सके थे। चीफ के इस हमलावर रुख के निहितार्थ भी हैं। यह सरकार को सख्त संदेश है कि आप हमारे मामले को ज्यादा दिनों तक बेवजह लटकाकर नहीं रख सकते। यह बिल्कुल तर्पसंगत बात है कि अगर जजों की यथोचित भर्ती होगी तो केस जल्द से जल्द निपट जाएंगे। इससे सरकार और समाज के स्तर पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। साथ ही जनता में न्यायपालिका और प्रणाली पर विश्वास बढ़ेगा। हालांकि कानून मंत्री नहीं मानते कि जजों की नियुक्ति का काम रुका है। पिछले दिनों कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि जनवरी से लेकर अभी तक हाई कोर्ट के 110 अतिरिक्त जजों को स्थायी किया गया है। 52 नए जज नियुक्त हुए हैं। चार न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुए हैं।

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