Saturday, 27 August 2016

स्कॉर्पियन डाटा लीक से हमारी सुरक्षा को चुनौती

अगर द आस्ट्रेलियन अखबार के आंकड़ों पर यकीन करते हुए मान लें कि फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस द्वारा मुंबई के मडगांव बंदरगाह पर बनाई जा रही स्कॉर्पियन श्रेणी की छह पनडुब्बियों के 22 हजार पेज के आंकड़े चोरी हो गए तो यह न सिर्प पनडुब्बी बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी के लिए चिन्ता का विषय है, बल्कि भारत समेत कई अन्य देशों के लिए भी परेशान होने की वजह है। भारत डीसीएनएस से छह स्कॉर्पियन पनडुब्बियां खरीद रहा है, इसके अलावा आस्ट्रेलिया, मलेशिया, चिली और ब्राजील के पास भी ये पनडुब्बियां हैं या इन देशों का भी उससे सौदा हो चुका है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर भारत की समुद्री सुरक्षा का काफी दारोमदार है लेकिन यदि इससे जुड़ी गोपनीय जानकारियां पहले ही दुश्मन के पास पहुंच जाएंगी तो इससे हमारी सुरक्षा के लिए खतरा पैदा होगा। आस्ट्रेलियाई अखबार स्कॉर्पियन से संबंधित 22 हजार दस्तावेजों के लीक होने की जो खबर दी है उसमें इसकी गति से  लेकर उसके सेंसर, नेवीगेशन प्रणाली और संचार क्षमता की जानकारियां हैं, जो बेहद संवेदनशील कही जा सकती हैं। यदि इसके पीछे हैविंग है जैसा कि रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने आशंका जताई है तो भी इस पनडुब्बी से संबंधित अहम जानकारियां अब इंटरनेट के जरिये सार्वजनिक हो चुकी हैं और इनके पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी मुल्कों के हाथों में चले जाने का खतरा है, जिनकी बढ़ती साझेदारी भारत के लिए चुनौती बनती जा रही है। जो जानकारियां लीक हुई हैं, उनमें इन पनडुब्बियों की तमाम अहम जानकारियां जैसे कौन-सी फ्रीक्वेंसी इस्तेमाल करती है, विभिन्न गतियों में इसकी आवाज कैसी होती है, पनडुब्बी में ऐसे सुरक्षित स्थान कौन से हैं जहां पर होने वाली बातचीत को दुश्मन के उपकरण नहीं पकड़ सकते। यह तो शायद जांच के बाद ही पता चल सके कि ये दस्तावेज लीक कहां से हुए? एक आशंका यह है कि यह भारत से लीक हुई हो, जहां पनडुब्बी बनाने वाली कंपनी भारत के लिए यह पनडुब्बियां बना रही है। लेकिन ज्यादा आशंका इसी बात की है कि फ्रांस में कंपनी के मुख्यालय से ही ये दस्तावेज लीक हुए हैं। ज्यादा आशंका यही है कि ये दस्तावेज सन् 2011 में कंपनी के साथ काम करने वाले किसी व्यक्ति ने चुराए हों। इसीलिए भारत का यह कहना भी सही है कि जो जानकारी लीक हुई है, वह पुरानी है और इससे पनडुब्बी की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है। लेकिन स्कॉर्पियन पनडुब्बी की डिजाइन अलग-अलग देशों के लिए भले ही भिन्न होती हो, लेकिन मूल तकनीक समान होती है। इसलिए यह आंकड़े भारतीय पनडुब्बी के नहीं भी हों तो भी चिन्ताएं कम नहीं हैं। यदि आंकड़े विशेष रूप से भारतीय पनडुब्बियों के बारे में लीक हुए हैं तो ज्यादा चिन्ताजनक स्थिति है। नौसेना को निर्माणाधीन पनडुब्बियों के डिजाइन में बदलाव जैसे कदम उठाने होंगे।

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