Sunday 14 August 2016

मुस्लिम महिलाएं अब काजी भी बनेंगी

मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के लिए आंदोलनरत संगठन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (वीएमएमए) अब महिला काजी तैयार कर रहा है। ये काजी न सिर्प महिलाओं के हितों का ख्याल रखेंगी, बल्कि निकाह पढ़वाने और तलाक जैसे मामलों में भी मदद करेंगी। भारत में पहली बार 30 महिला काजियों के पहले बैच का प्रशिक्षण 2015 में शुरू हुआ था। इस वर्ष के अंत तक यह समाप्त हो जाएगा। मुंबई की शैक्षणिक संस्था दारुल-उलूम--निस्वान यह प्रशिक्षण दे रहा है। संस्था की ट्रस्टी जाकिया सोमन कहती हैंöयह महिलाओं के अधिकार का प्रशिक्षण देने वाली पंजीकृत शैक्षणिक संस्था है। जहां ज्यादातर महिलाएं ही महिलाओं को महिला अधिकारों के बारे में शिक्षित करती हैं। बताती हैं कि क्या है प्रशिक्षण मेंöकुरान, हदीस सहित भारतीय संविधान और भारतीय दंड विधान में महिलाओं के अधिकारों को लेकर जो कुछ भी लिखा है उसकी जानकारी इन महिलाओं को दी जाती है। प्रशिक्षण में किताबी ज्ञान के साथ ही महिलाओं से संबंधित समस्याओं की व्यावहारिक जानकारी भी दी जाती है। प्रशिक्षण के दौरान समय-समय पर परीक्षाएं भी होती रहती हैं। इस समय काजी का प्रशिक्षण ले रही महिलाओं में ज्यादातर ने 12वीं से स्नातकोत्तर तक की शिक्षा ले रखी है। कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं जो ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं, लेकिन उनका व्यावहारिक ज्ञान अच्छा है। प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद यह महिलाएं अपने नाम के आगे काजी शब्द जोड़ सकेंगी। जाकिया बताती हैं कि पश्चिम बंगाल सहित कुछ अन्य राज्यों में महिला काजी रही हैं, लेकिन भारत में अभी तक इनके औपचारिक प्रशिक्षण की कोई व्यवस्था नहीं थी। शरई कानून में महिलाओं के काजी बनने को लेकर कोई व्यवस्था नहीं दी गई है। कुरान में हालांकि महिला अधिकारों के बारे में बहुत कुछ कहा गया है। जाकिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के विरोध को महत्व नहीं देतीं। उनका कहना है कि पर्सनल लॉ बोर्ड एक स्वयंसेवी संस्था है। उसका कोई कानूनी महत्व नहीं है। उसने अब तक कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाए, इसलिए वीएमएमए को यह पहल करनी पड़ी है। दूसरी ओर देवबंदी उलेमा ने कहा है कि दारुल कजा के मामले बेहद पेचीदा और नाजुक होते हैं। उन्हें मर्द काजी ही मुकम्मल तौर पर अंजाम दे सकते हैं। इन नजाकतों की बुनियाद पर ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पूरे मुल्क के किसी दारुल कजा में महिला काजी की नियुक्ति नहीं की है। संस्था से जुड़ी महिलाएं किस तबके से ताल्लुक रखती हैं और वे क्या चाहती हैं, यह तो मालूम नहीं, लेकिन बेहतर होगा कि वे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के शोबा--निसबां से रावता कर मशविरा करें।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment