नरेंद्र
मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए एक सराहनीय कदम उठाया है। अब कामकाजी महिलाओं के लिए
मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह
से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने के प्रावधान वाले महत्वपूर्ण विधेयक
को राज्यसभा से मंजूरी मिल गई है। सरकारी और संगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं
को 26 सप्ताह का प्रसूता अवकाश करने वाले प्रसूती प्रसुविधा
(संशोधन) विधेयक 2016 को
गत गुरुवार को राज्यसभा ने सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। इससे लगभग 18 लाख महिलाओं को लाभ मिलेगा लेकिन सेरोगेट माताओं को यह सुविधा नहीं मिलेगी।
खास बात यह रही कि इस
विधेयक का राज्यसभा ने जोरदार स्वागत तो किया ही, कई सदस्यों
ने इसी बहाने पितृत्व अवकाश पर भी सरकार को गौर करने को कहा। सदन में लगभग दो घंटे
तक चली चर्चा का जवाब देते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि
संगठित क्षेत्र में महिलाओं को सबसे अधिक प्रसूता अवकाश देने वाला भारत तीसरा राष्ट्र
बन जाएगा। प्रसूता महिलाओं को कनाडा में 50 सप्ताह और नार्वे
में 44 सप्ताह का अवकाश प्रदान किया जाता है। इसके अलावा प्रसूता
महिलाओं को 3500 रुपए भी दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रसूता
अवकाश बढ़ाने से मां और बच्चे को बेहतर जीवन मिलेगा। हां, यह
जरूर है कि 26 सप्ताह के प्रसूती अवकाश की सुविधा दो बच्चों के
मामले में ही लागू होगी और अन्य मामलों में यह सुविधा 12 सप्ताह
की ही रहेगी। इस विधेयक में किसी कामकाजी महिला को मां बनने पर घर से काम करने की सुविधा
को सुगम बनाने पर जोर दिया गया है। इसके तहत 50 से अधिक कर्मचारी
वाले प्रतिष्ठानों के लिए शिशु कक्ष (केच) की व्यवस्था अनिवार्य होगी। माताओं को प्रतिदिन चार बार शिशु कक्ष में जाने
की अनुमति होगी। निश्चित रूप से इस विधेयक को तैयार करते समय मोदी सरकार ने महिलाओं
की पीड़ा को समझा है। यही वजह है कि उच्च सदन में चर्चा के दौरान जवाब में दत्तात्रेय
ने कहा कि मां बनने वाली कामकाजी महिलाओं और उनके बच्चों को बेहतर जीवन प्रदान करना
बहुत ही गंभीर और महत्वपूर्ण मुद्दा है। विधेयक का एक उद्देश्य यह भी है कि कार्यबल
और कार्मिक बल में महिलाओं की संख्या बढ़ाई जाए। पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में
12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश दिया जाता है। मैक्सिको में 15 सप्ताह, स्पेन में 16 सप्ताह,
फ्रांस में 16 सप्ताह, ब्रिटेन
में 20 सप्ताह का अवकाश दिया जाता है। इस दृष्टि से भी देखें
तो भारत सरकार ने मातृत्व अवकाश की दिशा में बेहतर पहल की है। सदन में यह बात भी उठी
कि तमिलनाडु में पहले से ही 26 सप्ताह के मातृत्व अवकाश का प्रावधान
है और अब वहां इसे 39 सप्ताह किए जाने का प्रस्ताव है। एक सांसद
का कहना है कि तमिलनाडु की यह योजना पूरे देश के लिए रोल मॉडल होना चाहिए।
-अनिल नरेन्द्र
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