Sunday, 28 August 2016

निर्भया कांड के दोषी का आत्महत्या का प्रयास?

16 दिसम्बर 2012 की रात चलती बस में वसंत विहार इलाके में निर्भया घिनौना कांड हुआ था। इसने सारे देश का सिर शर्म से झुका दिया था। इतने दिन बीतने के बावजूद केस अदालतों में आज तक फंसा हुआ है। इस घिनौने कांड में एक दोषी विनय शर्मा ने बुधवार रात तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया। तिहाड़ के पूर्व डीआईजी स्तर के एक अधिकारी का कहना है कि विनय शर्मा की जान उसके साथ रह रहे कैदियों की चौकसी से बची। विनय ने पहले कुछ दवाइयां खाईं, उसके बाद उसने अपने गमछे (तोलिया) को गले में बांधकर फांसी लगाने की कोशिश की। आरोपी तिहाड़ में जेल नम्बर आठ में बंद था। जेल प्रशासन ने विनय को दीनदयाल अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। विनय शर्मा को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है जिस पर सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही है। 16 दिसम्बर 2012 के इस घिनौने कांड में कुल छह आरोपी थे। राम सिंह ने पहले ही आत्महत्या कर ली थी। बाकी पांच को दोषी पाया गया था। पांच में एक नाबालिग दोषी को छोड़कर बाकी चार को मौत की सजा दी गई है। नाबालिग दोषी जो पूरे कांड का मास्टर माइंड भी है, ने अपनी सजा पूरी कर ली है और दिसम्बर 2015 में वह रिहा भी हो चुका है। देश की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ में कैदियों के रहने के एक मामले में जेल से संबंधित हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। यहां की जेलों में बंद कैदियों की संख्या जेल की क्षमता से कहीं ज्यादा है। तिहाड़ जेल में कैदियों की संख्या अधिक होने के चलते एक कैदी की जगह पर तीन कैदियों को रखना पड़ रहा है। आंकड़ों के मुताबिक तिहाड़ के जेल नम्बर एक की क्षमता 565 कैदियों की है, जबकि वर्तमान में 863 कैदी इस जेल में बंद हैं। ठीक उसी तरह जेल नम्बर दो में 453 की तुलना में 827 कैदियों को रखा गया है। यही हालत तिहाड़ की बाकी जेलों में भी है। तिहाड़ जेल के बाद 14000 से अधिक कैदियों को संभालने के लिए 1100 वार्डर और हैड वार्डर लगे हैं। जबकि यह संख्या 2400 के लगभग होनी चाहिए। इससे हमारी न्यायिक प्रणाली पर भी गंभीर प्रश्न उठते हैं। इतने साल बीतने के बाद भी अभी तक दोषियों को सजा नहीं हो पाई है। निर्भया कांड ने न केवल सारे देश को ही, बल्कि पूरी दुनिया को हिला दिया था। जब जेल में क्षमता से कहीं ज्यादा कैदियों को ठूंसा जाएगा तो हर कैदी की सुरक्षा करना असंभव है। कहा जाता है कि बलात्कारियों को जेल में बंद कैदी नफरत की नजर से देखते हैं और मौका पाते ही इनकी जमकर पिटाई करते हैं। विनय शर्मा के साथ भी यही हुआ।

-अनिल नरेन्द्र

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