Thursday 11 August 2016

दीपा ने निहायत खतरनाक पोडुनोवा कर इतिहास रचा

रियो ओलंपिक में अब तक तो भारत के हाथों ज्यादातर निराशा ही लगी है। अगर हाकी और तीरंदाजी को छोड़ दें तो भारतीय खिलाड़ियों का परफारमेंस निराशाजनक ही रहा है। बेशक पुरुषों की हाकी में 36 साल बाद भारत ने पी क्वाटर फाइनल में पवेश किया पर अभिनव बिंद्रा जैसे गोल्ड मैडलिस्ट चौथे नंबर पर रहे। पर एक क्षेत्र है जहां भारत ने इतिहास रचा है। वह है जिम्नास्टिक। ओलंपिक जिम्नास्टिक के 120 साल के इतिहास में पहली बार भारत की जिम्नास्ट दीपा कर्माकर वॉल्ट इवेंट के फाइनल में पहुंच गई हैं। 22 साल की दीपा अब 14 अगस्त को खिताबी मुकाबला करेंगी। दीपा कर्माकर स्टाइल से फाइनल में पहुंची। जिम्नास्टिक में एक डिस्पिलन होता है पोडुनोबा। जिम्नास्टिक में सबसे ज्यादा 7 अंक पोडुनोबा में ही मिलते हैं। 90 के दशक में चेलेना पोडुनोबा ने यह वॉल्ट शुरू किया था। बाद में उन्हीं के नाम पर इस वॉल्ट का नाम पड़ गया। उनके बाद दुनिया में सिर्फ 4 जिम्नास्ट ही ये कर पाईं। इसमें जिम्नास्ट 25 किलोमीटर पति घंटे की रफ्तार से स्पिंग बोर्ड की ओर दौड़ लगाती है। जमीन से 10-12 फीट की ऊंचाई हासिल करती है। 1.7 सेकेंड में दो पंट समरसाल्ट लगाती है। फिर सामने सीधी लैंडिंग करती है। इसमें सबसे ज्यादा 7 अंक मिलते हैं। यदि सिर के बल पर गिरे तो मौके पर मौत की आशंका रहती है। यानि इतना खतरनाक होता है यह पोडुनोबा इसे दीपा ने कर दिखाया। मैं यह पतियोगिता देख रहा हूं। वहां पर कमेंट्री कर रहे कमेंट्रेटर ने कहा कि उन्होंने अपने 30 साल के अनुभव में यह पहली बार देखा है। दीपा ने सबसे मुश्किल मानी जाने वाली पोडुनोबा वॉल्ट को सफलतापूर्वक अंजाम fिदया। उनका डिफिकल्टी लेवल सबसे बेहतर था। उसमें उन्होंने ओवरऑल स्कोटिंग में बड़ी सफलता हासिल की। पहले पयास में उनकी पोडुनोवा में लैंडिंग थोड़ी धीमी थी लेकिन दूसरे पयास में दोहरी कलाबाजी लगाकर दर्शकों को लगातार तालियां बजाने पर विवश कर दिया। दीपा रविवार रात क्वालीफाई राउंड बिना अपने फीजियो के उतरीं। पैर में हल्की समस्या के बावजूद इस जिम्नास्ट ने किसी तरह फाइनल में जगह बनाई। फाइनल में कहीं गड़बड़ी न हो जाए इसे ध्यान में रखते हुए खेल मंत्रालय ने तुरंत दीपा के फीजियो सज्जाद मीर को रियो भेजने का फैसला किया है। सिर्फ फैसला ही नहीं लिया बल्कि सोमवार को तत्काल उन्हें रियो रवाना भी कर दिया। हम दीपा कर्माकर को उनकी शानदार परफारमेंस पर बधाई देते हैं। उम्मीद करते हैं कि 14 अगस्त को फाइनल में वह भारत को मैडल जिता सकेंगीं।

-अनिल नरेंद्र

No comments:

Post a Comment