क्या कर्नाटक के चुनाव नतीजों का असर दूर तक
जाएगा यह पश्न सियासी गलियारों में पूछा जा रहा है। इस साल के आखिर में होने वाले चार
राज्यों के चुनावों पर भी इसका असर पड़ेगा। इनमें से तीन राज्यों मध्य पदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो भाजपा सरकारें हैं और यहां भाजपा-कांग्रेस का सीधा मुकाबला है। चार राज्यों के चुनाव और ज्यादा टकराव वाले होंगे।
यह चुनाव एक तरह से लोकसभा चुनावों का पूर्वाभ्यास होंगे। ऐसे में चुनावी पारा बेहद
ऊपर रहेगा। कर्नाटक चुनाव में जेडीएस के मजबूती से उभरने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर
गठबंधन की सियासत में क्षेत्रीय दलें का दबदबा बढ़ना तय है। 2019 का आम चुनाव कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों को साथ लेकर लड़ना होगा। राजस्थान,
मध्य पदेश और छत्तीसगढ़ तीनों ही राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं।
कर्नाटक का भविष्य तय होने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और पधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी का अब ज्यादा फोकस राजस्थान पर इसलिए होगा क्योंकि सत्ता विरोधी माहौल
मध्य पदेश, छत्तीसगढ़ के मुकाबले राजस्थान में ज्यादा है। हालांकि
एमपी और छत्तीसगढ़ में भी इसी साल चुनाव होना है पर इन दोनों राज्यों में भाजपा लगातार
तीन बार से सत्ता में है। राजस्थान में हाल में हुए दो लोकसभा उपचुनाव व एक विधानसभा
उपचुनाव में भी इसी एंटी इनकम्बैंसी की वजह से भाजपा ने तीनों सीटें खो दीं। इसके अलावा
दूसरे दोनों राज्यों के मुकाबले राजस्थान में चुनाव का ट्रैंड सरकार विरोधी रहता आया
है। यहां हर बार सत्ताधारी दल चुनाव हार जाता है और विपक्षी दल हर 5 साल में सत्ता में आता है। इसलिए एमपी और छत्तीसगढ़ के मुकाबले मोदी-शाह का राजस्थान पर फोकस ज्यादा रहेगा। मध्य पदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह
चौहान चौथी बार (लगातार) सरकार बनाने का
दावा कर रहे हैं। उन्हें इस बात का पूरा विश्वास है कि मध्य पदेश के लोग यूं ही मामा
नहीं कहते हैं। उन्होंने वास्तव में पदेश की लड़कियों में आत्मविश्वास पैदा किया है,
बेटी को वरदान बताया है। जिसके कारण ही उन्हें यह नाम मिला है। इस बार
भी चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जाएगा। उन्होंने साफ कहा कि कांग्रेस के विधानसभा
के चुनावी चेहरे कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह कांग्रेस को चुनाव नहीं जिता सकते। चौहान ने दो टूक कहा कि जो
परफार्म करेगा वह सत्ता में रहेगा। मध्य पदेश में अगर शिवराज सिंह चौहान अपने बूते
पर चुनाव जीतने का पयास करेंगे तो छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह
की छवि अच्छी है और यहां भी ज्यादा एंटी इनकम्बैंसी फिलहाल देखने को नहीं मिल रही है
पर विधानसभा चुनाव से पहले कई उपचुनाव होने हैं। इन पर जीत-हार
से पदेश के मूड का पता चलेगा।
-अनिल नरेन्द्र