Tuesday 1 May 2018

लाल किले को गोद देने पर सियासी जंग

दिल्ली के लाल किले को डालमिया भारती समूह द्वारा पांच वर्ष के लिए 25 करोड़ रुपए में गोद लेने पर सियासी जंग छिड़ गई है। इसका कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के साथ शिवसेना ने भी विरोध किया है। इनका कहना है कि सरकार ऐतिहासिक धरोहर का निजीकरण कर रही है। कांग्रेस ने पूछा है कि क्या मोदी सरकार का यही न्यू इंडिया है? क्या धरोहर की देखभाल के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है? केंद्र सरकार ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा है कि लाल किले से कंपनी पैसा नहीं कमाएगी, बल्कि ऐतिहासिक स्थल पर लोगों के लिए सुविधाएं मिलेंगी। एक समझौते के अनुसार डालमिया समूह धरोहर और उसके चारों ओर के आधारभूत ढांचे का रखरखाव करेगा। पयर्टन मंत्रालय के अनुसार डालमिया समूह ने 17वीं शताब्दी के इस स्मारक पर छह महीने के भीतर मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने पर सहमति जताई है। इसमें पेयजल कियोस्क, सड़कों पर बैठने के लिए बैंच लगाना और आगंतुकों को जानकारी देने वाले संकेतक बोर्ड लगाना शामिल है। समूह ने इसके साथ ही नक्शे लगाना, शौचालय का उन्नयन, जीर्णोद्धार कार्य पर सहमति जताई है। इसके साथ ही वह वहां 1000 वर्ग फुट क्षेत्र में आगंतुक सुविधा केंद्र का निर्माण करेगा। दरअसल इस वर्ष संभावित स्मारक मित्रों का चयन किया गया है। इनका चयन निरीक्षण एवं दृष्टि समिति द्वारा किया गया है ताकि 95 स्मारकों पर सुविधाओं का विकास किया जा सके। इन स्मारकों में लाल किला, कुतुब मीनार, हम्पी (कर्नाटक), सूर्य मंदिर (ओडिशा), अजंता गुफा (महाराष्ट्र), चारमीनार (तेलंगाना) और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम) शामिल हैं। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट कियाöक्या सरकार हमारे ऐतिहासिक लाल किले की देखभाल भी नहीं कर सकती? लाल किला हमारे राष्ट्र का प्रतीक है। यह ऐसी जगह है जहां स्वतंत्रता दिवस पर भारत का झंडा फहराया जाता है। इसे क्यों लीज पर दिया जाना चाहिए? हमारे इतिहास में यह निराशा और काला दिन है। माकपा ने कहा कि सरकार ने एक प्रकार से लाल किले को डालमिया ग्रुप को सौंप दिया है। डालमिया समूह ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि वे शुरुआत में पांच साल के लिए इसके मालिक होंगे और समझौता उन्हें डालमिया ब्रांड का प्रदर्शन करने की स्वतंत्रता देता है। पार्टी ने आगे कहाöइसके पास स्थल पर आयोजित कार्यक्रमों के दौरान और सांकेतिक बोर्डों पर सभी तरह की प्रचार सामग्री में अपने ब्रांड के नाम का इस्तेमाल करने का अधिकार है। वाकई उसे प्रमुखता से प्रदर्शित संकेत बोर्ड में यह घोषणा करने की अनुमति होगी कि लाल किला को डालमिया ग्रुप ने गोद ले लिया है। माकपा ने कहा कि लाल किला स्वतंत्र भारत का प्रतीक है और उसे कारपोरेट निकाय को सौंपा जाना ईशनिंदा से कम नहीं है। पर्यटन राज्यमंत्री महेश शर्मा का कहना है कि लाल किले समेत कई ऐतिहासिक भवनों को संरक्षण और पर्यटकों को ज्यादा सुविधाएं देने के लिए निजी कंपनियों के साथ करार किया गया है। इनको मुनाफा कमाने की अनुमति नहीं दी गई है। इमारतों में होने वाली गतिविधियों से अर्जित धन का इस्तेमाल इन्हीं के संरक्षण पर खर्च किया जाएगा। इतिहास में पहली बार ऐसा समझौता हुआ है। केंद्र सरकार से जरूरी मंजूरी मिलने के बाद डालमिया ग्रुप पर्यटकों से फीस वसूलना शुरू करेगा। वैसे दुनिया के अनेक देशों में निजी कंपनियां ऐतिहासिक इमारतों की देखरेख करती हैं। फिर भी सरकार की सोच पर प्रश्न तो खड़े होते ही हैं। क्या सरकार ने मान लिया है कि इन इमारतों का समुचित रखरखाव उसके वश की बात नहीं है?

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