Saturday 26 May 2018

उत्तराखंड में धधक रहे जंगल, आदमी और जानवर सभी हलकान

उत्तर भारत में गर्मी अपने चरम पर है और अभी से कई शहरों में पारा 45 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र का विदर्भ इलाका और राजधानी दिल्ली गर्मी से अधिक प्रभावित है। उत्तराखंड के जंगलों में गर्मी के कारण जंगलों में आग लगी हुई है। दिल्ली में मंगलवार इस सीजन का सबसे गरम दिन दर्ज हुआ। अधिकतम तापमान सामान्य से चार डिग्री सेल्सियस ज्यादा सफदरजंग में 44 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। मौसम विभाग के सफदरजंग स्टेशन में दर्ज तापमान को दिल्ली का औसत माना जाता है। वहीं पालम में 46 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। छह राष्ट्रीय पार्प, सात अभ्यारण्य और चार कंजर्वेशन रिजर्व वाला उत्तराखंड इन दिनों जंगलों की आग से हलकान है। 71 प्रतिशत वन भूभाग वाले राज्य में जंगल सुलग रहे हैं। इससे वन सम्पदा को तो खासा नुकसान पहुंच ही रहा है, बेजुबान भी जान बचाने को इधर-उधर भटक रहे हैं। यही नहीं, वन्य जीवों के आबादी के नजदीक आने से मानव और इनके बीच संघर्ष तेज होने की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में जंगल की दहलीज पार करते ही उनके शिकार की भी आशंका है। हालांकि दावा है कि राज्यभर में गांवों, शहरों से लगी वन सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है। मंगलवार को पौड़ी में एक केंद्रीय विद्यालय और कमिश्नर के आवास तक आग पहुंच गई। बच्चों को बचाने के लिए स्कूल में छुट्टी करनी पड़ी। जंगल से गुजरने वाली सड़कों पर यातायात रोकना पड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान की बढ़ोत्तरी आग का प्रमुख कारण है। आग से चारों ओर फैली धुंध के कारण हिमालय तक नजर नहीं आ रहे हैं। हिमालय नहीं दिखाई देने से पर्यटन पर भी खासा असर पड़ा है। सोमवार को राज्य में आग लगने की 386 सूचनाएं दर्ज की गई थीं जो मंगलवार को बढ़कर 917 हो गईं। इस फायर सीजन में अब तक 800 स्थानों पर कुल 1213 हैक्टेयर जंगल स्वाह हो चुके हैं। बेकाबू होती जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए हेलीकॉप्टरों की मदद लेने की तैयारी है। मंगलवार को चमोली में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि जरूरत पड़ी तो आग बुझाने को हेलीकॉप्टरों की मदद ली जाएगी। आग पर काबू पाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी गई है। वन कर्मियों के साथ पुलिस, एनडीआरएफ के जवान और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग आग बुझाने में जुटे हैं। इनकी संख्या 4306 है। दावानल पर नियंत्रण के मद्देनजर 248 वाहन भी लगाए गए हैं। वन्य जीवों की सुरक्षा को देखते हुए सभी संरक्षित-आरक्षित वन क्षेत्रों में गांव-शहरों से लगी सीमा पर वन कर्मियों की नियमित गश्त बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही जंगलों में बनाए गए वॉटर होल में पानी का इंतजाम करने पर खास फोकस किया जा रहा है।

-अनिल नरेन्द्र

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