Wednesday, 9 May 2018

अफगानिस्तान में 7 भारतीय इंजीनियरों की किडनैपिंग

गृह युद्ध से जर्जर अफगानिस्तान की मदद करने और वहां विकास को गति देने में जुटा भारत हमेशा से तालिबान को खटकता रहा है। बागलान राज्य में रविवार को बिजली ट्रांसमिशन लाइट लगाने वाली भारतीय कंपनी केईसी के आठ कर्मचारियों को हथियारबंद लोगों ने अगवा कर लिया। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक तालिबान लड़ाके उन्हें सरकारी कर्मचारी समझकर अपने साथ ले गए। एसोसिएटिड पेस के मुताबिक इनमें सात भारतीय इंजीनियर शामिल हैं। इसके अलावा एक अफगान नागरिक भी अगवा किया गया है। जिस जगह से अपहरण हुआ है वहां हाल के दिनों में तालिबान की  शक्ति काफी बढ़ी है। माना जा रहा है कि इस अपहरण में भी तालिबान का हाथ है। अफगान चैनल तोलो न्यूज ने अपने अधिकारियों के हवाले से बताया कि यह अपहरण बागलान की राजधानी पुल-ए-खुमरी के चेश्मा-ए-शेर इलाके में हुआ है। सभी इलेक्ट्रिक इंजीनियर है। केईसी को इस इलाके में एक विद्युत उपकेंद्र के संचालन का काम मिला हुआ है। इधर आरपीजी इंटरपाइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने इजीनियरें को छुड़ाने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मदद मांगी है। केईसी बड़े पैमान पर बिजली के क्षेत्र में काम करती है। उसके अफगानिस्तान में करीब 150 इंजीनियर व तकनीकी विशेषज्ञ विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। अफगानिस्तान में भारतीय हमेशा से निशाने पर रहे हैं। पाक समर्थित आतंकी गुट अफगानिस्तान में भारत की मौजदूगी व वहां विकास कार्य करने से परेशान रहता है और यह गुट भारतीयों को वहां से भगाने के पयास में लगा रहता है। अफगानिस्तान भारत के लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। भारत ने अफगानिस्तान की हर संभव मदद की है। इसकी तारीफ अमेरिका भी करता है। भारत ने अफगानिस्तान में अरबों डालर की विकास परियोजनाएं शुरू करने के साथ-साथ सैन्य सहयोग भी बढ़ाया है। भारत ने अफगानिस्तान के संसद भवन के लिए सहायता राशि दी थी और उसका निर्माण भी कराया था। हाल ही में भारत ने अफगानिस्तान को चार एमआई 25 हैलीकॉप्टर का तोहफा भी दिया था जबकि हर साल सैकड़ों अफगान सैनिकों और पुलिस कर्मियों को भी ट्रेनिंग देता है। वहीं तालिबान भारत की मदद की निंदा करता रहा है। जर्मनी की हारडेलबर्ग यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशिया मामलों के विशेषक जिगपेड वोल्फ कहते हैं कि काबुल में होने वाले तालिबान के हमले सिर्प अफगान सरकार के खिलाफ नहीं होते बल्कि भारत को अफगानिस्तान से बाहर रखने की तरफ भी एक इशारा है। पहले भी दिसंबर 2003 में भारतीयों का अपहरण हुआ था लेकिन उन्हें बाद में छोड़ दिया गया था। वहीं जुलाई 2004 में तीन भारतीय ट्रक ड्राइवरों का अपहरण कर लिया गया था। उन्हें छुड़ाने के लिए भारत सरकार को अपनी खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। वहीं उसके बाद नवम्बर 2005 में दक्षिण पश्चिमी अफगानिस्तान में एक भारतीय सहित तीन अफगान नागरिकों का अपहरण कर लिया। भारतीय नागरिक कुट्टी का शव अफगानिस्तान के दक्षिण पांत में सड़क के किनारे मिला था। हम पार्थना के साथ उम्मीद करते हैं कि 7 भारतीयों की रिहाई जल्द होगी।

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