Sunday 6 May 2018

पांच साल ः बैंक धोखाधड़ी बेमिसाल

पिछले पांच सालों में देश के बैंकों में 23 हजार 866 घोटाले पकड़े गए। इनमें एक लाख 718 करोड़ रुपए की हेराफेरी की गई यानि रोजाना बैंक धोखाधड़ी के 14 मामले हुए। जिसमें बैंकों को हर दिन 78 करोड़ रुपए का चूना लगा। यह सनसनीखेज खुलासा एक आरटीआई आवेदन के जवाब में रिजर्व बैंक ने किया है। बैंक घोटाले में सबसे बड़ी हिस्सेदारी लोन फ्रॉड की है। फरवरी में एक अन्य आरटीआई के जवाब में रिजर्व बैंक ने बताया था कि 2012-13 से 2016-17 के दौरान सरकारी बैंकों में लोन फ्रॉड के 8670 मामले हुए। इनमें बैंकों के 61,260 करोड़ रुपए फंसे। 2012-13 में 6357 करोड़ रुपए का फ्रॉड हुआ। 2016-17 में यह बढ़कर 17,634 करोड़ रुपए हो गया। वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला के अनुसार इस अवधि तक पंजाब नेशनल बैंक का एनपीए 55,200 करोड़ रुपए, आईडीबीआई बैंक का 44,542 करोड़ रुपए, बैंक ऑफ इंडिया का 43,474 करोड़ रुपए, बैंक ऑफ बड़ौदा का 41,649 करोड़ रुपए, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का 38,047 करोड़ रुपए, केनरा बैंक का 37,794 करोड़ रुपए और आईसीआईसी बैंक का 33,849 करोड़ रुपए था। आईआईएम बेंगलुरु की स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक करीब 55 प्रतिशत बैंक फ्रॉड सरकारी बैंकों में हुए। लेकिन रकम के लिहाज से इनकी हिस्सेदारी 83 प्रतिशत हो जाती है। दिसम्बर 2017 तक बैंकों का 8.41 लाख करोड़ रुपए का लोन फंसा हुआ है। ये आंकड़े इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं कि केंद्रीय जांच एजेंसियां, सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय कई बड़े बैंकों की धोखाधड़ी के मामलों की जांच कर रहे हैं। इनमें पंजाब नेशनल बैंक का 13,000 करोड़ रुपए का घोटाला भी शामिल है। इस घोटाले का सूत्रधार नीरव मोदी और उसका मामा गीतांजलि जेम्स का प्रवर्तक मेहुल चोकसी है। सीबीआई ने हाल में आईडीबीआई बैंक के साथ 600 करोड़ रुपए की कर्ज धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार दिसम्बर 2017 तक सभी बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) 8,40,959 करोड़ रुपए थी। सबसे अधिक एनपीए सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक का 2,01,560 करोड़ रुपए थे। यह आंकड़े पिछले साल के हैं जिनमें चार साल मोदी सरकार थी यानि सबसे बड़े घोटाले मोदी सरकार के कार्यकाल में हुए। इस दौरान न केवल घोटाले हुए पर घोटाले करने वाले साफ निकल गए। पता नहीं इतनी बड़ी रकम को कैसे रिकवर किया जाएगा? यह बैंकों का पैसा नहीं, बल्कि यह तो पब्लिक का पैसा है। पब्लिक कठिन परिश्रम करके बैंक में अपनी सेविंग्स रखती है और यह  बैंक अधिकारी दोनों हाथों से उसे लुटाते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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