Wednesday, 25 July 2018

चिदम्बरम केस में सीबीआई की साख दांव पर

पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम और उनके बेटे कार्ति की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मॉरीशस की कंपनी मैक्सिस में निवेश करने के मामले में एफआईपीबी (विदेश निवेश संवर्द्धन बोर्ड) की कथित संदिग्ध भूमिका पर सीबीआई ने पटियाला हाउस स्थित विशेष अदालत में पूरक आरोप पत्र गत गुरुवार को दाखिल कर दिया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने न केवल उन्हें आरोपी बनाया है, बल्कि भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत उनके खिलाफ जो धाराएं लगाई हैं, अगर वे अदालत में साबित हो जाती हैं तो उन्हें सात साल की सजा तक हो सकती है। इस मामले में सीबीआई ने वर्ष 2006 के दौरान दो कंपनियों को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी को लेकर जांच की है। उस समय चिदम्बरम वित्तमंत्री थे। सीबीआई के मुताबिक उन्हीं के कहने पर इन कथित कंपनियों को एफआईपीबी की मंजूरी मिली थी जिसमें अनियमितता बरते जाने का पता चला है। सीबीआई ने यह भी कहा है कि 3500 करोड़ रुपए के एयरसेल-मैक्सिस सौदे और 305 करोड़ रुपए के आईएनएक्स मीडिया मामले में जांच एजेंसियां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की भूमिका पर जांच कर रही थीं। साक्ष्य मिलने पर इन्हें आरोपी बनाया गया है। बता दें कि जिस एयरसेल-मैक्सिस डील ने चिदम्बरम और उनके बेटे कार्ति को परेशान कर रखा है, इसी मामले से जुड़े आरोपों में पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि मारन को विशेष अदालत बरी कर चुकी है। सीबीआई की छवि को देखते हुए एनडीए सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश करने से एक दिन पहले उनके द्वारा इस पूरक आरोप पत्र पर सवाल उठना लाजिमी है। फिर यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इसी मामले में अपने पहले आरोप पत्र में सीबीआई ने दयानिधि मारन और उनके भाई को आरोपी बनाया था, पर अदालत में सीबीआई अपना केस साबित नहीं कर सकी। कांग्रेस नेता पी. चिदम्बरम ने आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ लगाए गए बेतुके आरोप के समर्थन में कार्रवाई करने को लेकर सीबीआई पर दबाव डाला गया। सीबीआई के एयरसेल-मैक्सिस मामले में आरोप पत्र दाखिल करने के बाद यह बात उन्होंने कही। चिदम्बरम ने कहा कि मामला अब अदालत के समक्ष है और वह पूरी मजबूती के साथ इस मुकदमे को लड़ेंगे। ऐसा पहले शायद ही हुआ है जब देश के पूर्व वित्तमंत्री पर भ्रष्टाचार इत्यादि का आरोप लगा हो। सीबीआई को यह साबित करना होगा कि उसके पास पर्याप्त साक्ष्य हैं और वह सरकार के दबाव में विपक्ष को हैरान-परेशान नहीं कर रही।

-अनिल नरेन्द्र

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