Friday 6 July 2018

जलालाबाद में सिखों-हिन्दुओं पर कायराना हमला

अफगानिस्तान के जलालाबाद शहर में बीते रविवार को सिखों और हिन्दुओं को निशाना बनाकर जो कायराना हमला हुआ वह चिन्ता का विषय तो है ही पर साथ-साथ इसके पीछे बड़ी साजिश की आशंका भी है। इस हमले में सिख और हिन्दू समुदाय के 20 लोग मारे गए और कई जख्मी हो गए। एक आत्मघाती हमला उस समय हुआ जब हिन्दुओं और सिखों का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति अशरफ गनी से मिलने जा रहा था। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन आईएस ने ली है। इस हमले के पीछे बेशक आईएस ने जिम्मेदारी ली हो पर असल दिमाग और योजना में पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ नजर आ रहा है। आईएसआई उस इलाके में अपने समर्थक तालिबान-आईएस आतंकियों के साथ मिलकर भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए पहले भी इस तरह के हमले करवा चुकी है। भारतीय खुफिया सूत्रों की मानें तो भारत अफगानिस्तान सरकार के साथ मिलकर जलालाबाद के आसपास विकास के कई काम करने की मंशा बनाए हुए है। यह हमला उसे नुकसान पहुंचाने के लिए ही किया गया है। भारत में अफगानिस्तान के राजदूत डॉ. शायदा मोहम्मद अब्दाली ने कहा कि पाकिस्तान के इशारे पर तालिबान-आईएस अफगानिस्तान में रह रहे हिन्दू-सिखों को जानबूझ कर निशाना बना रहे हैं। मारे गए सिख और हिन्दू किसी भी अफगानी से कम देशभक्त नहीं। अब्दाली ने आगे कहाöउन पर हमला अफगानिस्तान की देशभक्ति पर हमला है। उन्होंने भी पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है जब भारत और अफगानिस्तान को नहीं, बल्कि पूरी अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को आतंकवाद फैलाने वालों से मुकाबला करना चाहिए। ऐसे में सवाल उठता है कि अफगानिस्तान में जो भारतीय बचे हैं, उनकी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी? अफगानिस्तान में पहले भी इस प्रकार से हिन्दुओं-सिखों को टारगेट किया गया है। ताजा हमले में मारे गए सिख समुदाय का एक व्यक्ति तो वहां अक्तूबर में होने वाले चुनाव में हिस्सा लेने की तैयारी में था। ढाई-तीन दशक पहले अफगानिस्तान में एक लाख से ज्यादा सिख-हिन्दू थे। काबुल, कंधार और जलालाबाद में स्थानीय कारोबार में उनकी भागीदारी थी। लेकिन तालिबान राज के आतंक के बाद इनका पलायन शुरू हुआ और अब वहां मुश्किल से तीन सौ से भी कम सिख परिवार रह रहे हैं। हमलों में इनके घर तबाह हो गए हैं, कारोबार चौपट हो गया है और सिर पर मौत की तलवार लटक रही है। ऐसे में इनकी सुरक्षा कैसे होगी, यह गंभीर चिन्ता का विषय बना हुआ है। भारत सरकार को अफगानिस्तान सरकार के साथ मिलकर बचे सिख-हिन्दू परिवारों की सुरक्षा हेतु फुलप्रूफ प्लान बनाना होगा नहीं तो तालिबान-आईएसआई अपने मंसूबों में सफल हो जाएगा और अफगानिस्तान में एक भी सिख-हिन्दू परिवार नहीं बचेगा।

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