Wednesday, 18 July 2018

धमकियों पर उतरीं महबूबा मुफ्ती

अपनी पार्टी में मचे घमासान को दबाने के लिए पीडीपी नेता व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा अब धमकियों पर उतर आई हैं। महबूबा ने कहा कि मेरी पार्टी मजबूत है। मतभेद हैं तो सुलझा लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी को तोड़ने की कोशिश न करें। ऐसा किया तो आप अंतत सलाहुद्दीन (हिजबुल प्रमुख) जिसने 1987 में चुनाव लड़ा था और यासीन मलिक (जेकेएलएफ प्रमुख) को जन्म देने का काम करेंगे। जैसा 1987 में हुआ था जब लोगों के वोटों पर डाका डाला गया था और एमयूएफ (मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट) को कुचलने का प्रयास किया गया था, तो इसके परिणाम बेहद खतरनाक होंगे। महबूबा के बयान पर नेशनल कांफ्रेंस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करके कहा कि पीडीपी टूट भी जाती है तो इससे कश्मीरी लोगों को कोई फर्प नहीं पड़ने वाला। मैं इस तरह बताता हूं ताकि सब याद रखें कि पीडीपी के टूटने से एक भी नया आतंकी तैयार नहीं होगा। कश्मीरी लोगों के मतों को विभाजित करने की खातिर दिल्ली में बनाई पार्टी के अंत का लोगों को कोई दुख नहीं होगा। उधर अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहाöमहबूबा ने यह चेतावनी देकर कि पीडीपी को तोड़ने की कोशिश करने पर और आतंकवादी पैदा होंगे, अलगाववादियों के साथ निकटता को जगजाहिर कर दिया है। महबूबा इससे आतंकियों को ऑक्सीजन देने की कोशिश कर रही हैं। भाजपा के समर्थन वापस लेने के बाद सत्ता गंवाकर और पार्टी में टूट की आशंका का मुकाबला कर रही महबूबा की पार्टी को जिस दक्षिण कश्मीर में सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं वहां की बढ़ती Eिहसा इस बात का संकेत है कि उनका जनाधार खिसक भी रहा है। विकल्प के तौर पर उभर रहे उमर अब्दुल्ला विधायकों की खरीद-फरोख्त से बचने के लिए लगातार नए चुनाव की मांग कर रहे हैं। ऐसे में महबूबा के बयान से जाहिर होता है कि उन्हें दल-बदल से ज्यादा चिन्ता आगामी चुनाव सता रहे हैं। यही वजह है कि महबूबा के बयान में साफ कहा गया है कि अगर दिल्ली ने 1987 की तरह यहां की अवाम के वोट पर डाका डाला तो जिस तरह एक सलाहुद्दीन और एक यासीन मलिक ने जन्म लिया वैसी ही खतरनाक स्थिति आज भी पैदा हो सकती है। चेतावनी का अर्थ यह भी है कि कश्मीर में जोड़तोड़ में नई सरकार बनाने की कोशिश अब शांति पैदा करने की बजाय बदमगजी और अशांति पैदा करेगी। इसलिए राज्यपाल को कोशिश करनी चाहिए कि जितनी जल्दी हो सके जम्मू-कश्मीर में चुनाव करवाएं ताकि सूबे में लोकतंत्र बरकरार रहे।

-अनिल नरेन्द्र

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