Saturday 28 July 2018

लोकतंत्र में धरना-प्रदर्शन रोका नहीं जा सकता

सुप्रीम कोर्ट ने जंतर-मंतर और बोट क्लब इलाकों में धरना, प्रदर्शन और रैलियों पर एनजीटी द्वारा लगाया गया प्रतिबंध सोमवार को खत्म कर दिया और कहा कि इन इलाकों में विरोध प्रदर्शनों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि इस तरह के आयोजनों को मंजूरी देने के लिए दो महीने के भीतर दिशानिर्देश तैयार किए जाएं। न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के अधिकार और नागरिकों के शांतिपूर्ण तरीके से रहने के अधिकार के बीच टकराव के मद्देनजर संतुलित व्यवहार अपनाना जरूरी है। उल्लेखनीय है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पिछले पांच अक्तूबर को जंतर-मंतर के आसपास के इलाके में धरने-प्रदर्शनों पर रोक लगा दी थी। इसे पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन बताते हुए एनजीटी ने कहा था कि नागरिकों को जंतर-मंतर रोड एरिया पर प्रदूषण-मुक्त माहौल में रहने का अधिकार है। लेकिन राज्य सरकार इसकी रक्षा में नाकाम रही। दिल्ली के मुख्यमंत्री सहित अनेक संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा कि दिल्ली को पुलिस राज्य में परिवर्तित करने का प्रयास लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। स्वराज इंडिया ने भी फैसले का स्वागत किया है। प्रशांत भूषण ने कहा है कि जंतर-मंतर पर लगी यह रोक अलोकतांत्रिक और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन थी। वहीं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि केंद्र सरकार के करीब जनता का प्रदर्शन उसका अधिकार है। रोक हटना पर कई सामाजिक, धार्मिक एवं अन्य संगठनों और संस्थाओं को खुशी देने वाली है, वहीं नई दिल्ली आने वाले लोगों को इससे काफी राहत मिलेगी। दरअसल तमाम संगठनों और संस्थाओं को धरना-प्रदर्शन करने के लिए अब कोई भुगतान नहीं करना पड़ेगा और संसद मार्ग कम बंद होने से लोगों को जाम से भी मुक्ति मिलेगी। एनजीटी की रोक लगाने के बाद तमाम संगठनों एवं संस्थाओं के साथ-साथ आम लोगों के समक्ष भी दिक्कत आ गई थी। इसके लिए रामलीला मैदान तय किया गया था। लेकिन उत्तरी नगर निगम ने यहां धरना-प्रदर्शन करने के लिए मुफ्त जगह देने से मना कर दिया था। रामलीला मैदान की एक दिन की बुकिंग फीस 50 हजार रुपए तय कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने जंतर-मंतर और बोट क्लब दोनों ही जगह पूरी पाबंदी खारिज करते हुए कहा है कि कुछ मौकों पर पाबंदी की जरूरत पड़ सकती है।

-अनिल नरेन्द्र

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