Wednesday, 23 October 2019

चार साल में भारतीय सेना की तीसरी डेडली स्ट्राइक

पाकिस्तानी सेना ने आतंकियों की घुसपैठ कराने के इरादे से जब तंगधार सेक्टर जो कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में है अंधाधुंध फायरिंग करके हमारे दो जवानों को शहीद कर दिया तो उन्हें शायद ही इस बात का अंदाजा रहा होगा कि भारत की ओर से ऐसा मुंहतोड़ जवाब मिलेगा। भारतीय सेना ने करीब दो घंटे में ही तंगधार में शहीद अपने दो जवानों की शहादत का बदला ले लिया। सेना ने पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में ताबड़तोड़ गोले बरसा तीन आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया। चौथे कैंप को भी नुकसान पहुंचा है। सेना की इस जवाबी कार्रवाई में बड़ी संख्या में आतंकियों के साथ पाकिस्तन के छह से 10 फौजी भी मारे गए। इस साल 26 फरवरी को पीओके बालाकोट में भारतीय वायुसेना की एयर स्ट्राइक के बाद यह सेना की पहली बड़ी कार्रवाई है। सेना ने यह कार्रवाई तब की जब भारतीय सेना को एलओसी पर चार लांचिंग पैडों के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी, पाकिस्तान इन कैंपों में मौजूद आतंकियों को भारत में घुसपैठ कराने की तैयारी में था। सूत्रों ने बताया कि कैंपों में 40-50 आतंकी मौजूद थे। पाक सेना उन्हें सुरक्षा और राशन-पानी मुहैया करा रही थी। बता दें कि पीओके में 200-300 आतंकी सक्रिय हैं। पाक के दुस्साहस की जवाबी कार्रवाई में भारत ने 77बी बोफोर्स और स्वदेशी निर्मित बोफोर्स तोपों का इस्तेमाल किया। कारगिल में भी भारत ने इन्हीं 77बी बोफोर्स तोपों का इस्तेमाल किया था और पाकिस्तान को धूल चटाई थी। बोफोर्स 40 किलोमीटर दूर तय लक्ष्य को ध्वस्त कर सकती है। यह एक मिनट में दो फायर कर सकती है और लगातार दो घंटे तक गोलाबारी कर सकती है। तोपों का इस्तेमाल इसलिए किया गया क्योंकि आर्टिलरी गन से आतंकी ठिकानों पर सटीक निशाना लगाया जा सकता है। दुश्मन के इलाके में बिना गए कार्रवाई हो सकती है। जरूरत के हिसाब से रेंज का इस्तेमाल होता है। पीओके में एलओसी के पार लांचिंग पैड काफी नजदीक हैं। कुछ पैड तो सिर्प 500 मीटर की दूरी पर हैं। सेना से जुड़े सूत्रों ने यह साफ किया कि सेना की यह कार्रवाई सर्जिकल स्ट्राइक जैसी नहीं है। यह पाक फौज को सख्त संदेश देने की कोशिश है। गौरतलब है कि पाकिस्तानी सेना लगातार संघर्षविराम का उल्लंघन कर रही है। उरी, बारामूला और तंगधार आदि इलाकों में वह लगातार गोलीबारी कर रही थी। भारतीय सेना लगातार चेतावनी देती रही है कि पाकिस्तानी सेना उसे उकसाने का प्रयास न करे। उसकी हरकतों का सख्त जवाब दिया जाएगा, मगर वह इसे समझने को तैयार नहीं। पिछले एक साल में पाकिस्तानी सेना ने जितनी बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया, उतना शायद ही कभी हुआ होगा। पाकिस्तान की समस्या यह है कि वहां कोई एक निजाम नहीं है। वहां की सरकार अपने ढंग से काम करना चाहती है, मगर उस पर सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई का शिकंजा रहता है। सेना अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए और कश्मीर मुद्दा ज्वलंत रखने के लिए अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। उसकी बौखलाहट इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि अनुच्छेद 370 हटने के बाद उन्हें पूरी दुनिया में कहीं भी समर्थन नहीं मिला। आए दिन वह परमाणु हमले, युद्ध की धमकी देता है जबकि वह जानता है कि भारतीय सेना के सामने वह टिक नहीं सकता। इसीलिए अपनी प्रॉक्सी वार के लिए यह भाड़े के सैनिकों का इस्तेमाल करता है। लातों के भूत बातों से नहीं मानते।

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