Tuesday 15 October 2019

विधायक सेंगर दुष्कर्म पीड़िता के हादसे में हत्या का आरोपी नहीं

केंद्रीय जांच ब्यूरो यानि सीबीआई ने उन्नाव सड़क हादसे में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और कुछ अन्य अभियुक्तों के खिलाफ शुक्रवार को अदालत में चार्जशीट पेश कर दी। चार्जशीट में इसे हत्या की कोशिश या षड्यंत्र का मामला नहीं बल्कि महज एक हादसा बताया गया है। रायबरेली में 28 जुलाई को हुए पीड़िता की कार हादसे में उसकी चाची और मौसी की मौत हो गई थी, जबकि वह और उसका वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे। सीबीआई ने 30 जुलाई को इस मामले में सेंगर, उसके भाई मनोज कुमार सेंगर, यूपी के मंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह के दामाद अरुण सिंह व सात अन्य के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, आपराधिक साजिश और धमकी देने का मुकदमा दर्ज किया था। अधिकारियों ने बताया कि जांच एजेंसी ने लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत में शाम को पहली चार्जशीट दाखिल की। इसमें पीड़िता की कार में टक्कर मारने वाले ट्रक ड्राइवर आशीष कुमार पाल को आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत लापरवाही से मौत के लिए जिम्मेदार होने और सार्वजनिक रास्ते पर खतरनाक ढंग से ड्राइविंग का आरोपी बनाया गया है। उसे आपराधिक साजिश का आरोपी नहीं बनाया है। पीड़ित लड़की की मां ने मीडिया से बातचीत में सीधे तौर पर इस सड़क हादसे को षड्यंत्र बताया था और इसके पीछे विधायक कुलदीप सेंगर का हाथ होने का आरोप लगाया था। साल 2017 में कुलदीप सिंह सेंगर के गांव की एक लड़की ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाया था। लड़की ने पुलिस पर शिकायत दर्ज न करने का आरोप लगाते हुए लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास के बाहर आत्महत्या की कोशिश की थी। उसके अगले दिन  ही लड़की के पिता की पुलिस हिरासत में संदिग्ध मौत हो गई। पीड़ित पक्ष ने आरोप लगाया कि ऐसा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के इशारे पर हुआ। यह मामला सुर्खियों में आने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप किया जिसके बाद राज्य सरकार ने इसकी जांच सीबीआई से कराने के निर्देश दिए। पिछले महीने ही पीड़िता को दिल्ली के एम्स से छुट्टी मिली लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित लड़की की दिल्ली में ही रहने की व्यवस्था करने का सरकार को निर्देश दिए। उन्नाव रेप केस बॉलीवुड क्राइम फिल्म जैसी ही है कहानी। 17 जुलाई को एक लड़की विधायक के घर नौकरी के लिए बात करने जाती है और फिर कुछ समय बाद बताती है कि विधायक के घर उसका रेप किया गया। इसके बाद गायब हो जाती है, उसके पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो जाती है, उसकी चाची की मौत हो जाती है और वो अपनी इस लड़ाई को लड़ते-लड़ते अपनी जिंदगी के लिए भी जंग लड़ रही है। पढ़ने में यह कोई क्राइम ड्राला बॉलीवुड सिनेमा की क्रिप्ट लगती है लेकिन यह साल 2017 से शुरू हुई उन्नाव रेप पीड़ित की असल जिंदगी की कहानी है। इस बेहद कूर अपराध के शुरू होने से लेकर अब तक की कहानी आपको झकझोर कर रख देगी। जिस ट्रक से एक्सीडेंट हुआ उसका नम्बर छिपाया गया था। लड़की को सुरक्षा के लिए कुल नौ सुरक्षा कर्मी दिए गए थे लेकिन घटना के वक्त उसके साथ एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं था। पीड़िता के परिवार का आरोप है कि विधायक के लोग उन्हें केस वापस लेने की लगातार धमकी दे रहे थे और यह एक्सीडेंट प्रायोजित किया गया है। लड़की के परिवार ने यूपी सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी पर मामले को दबाने का प्रयास भी बताया है।

-अनिल नरेन्द्र

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