Friday, 11 October 2019

राफेल भारत के लिए गेमचेंजर साबित होगा

दुश्मन के लिए काल माने जाने वाले लड़ाकू विमान राफेल दशहरे पर भारत को मिल गया। फ्रांस के मेरीनेक एयर बेस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में डैसो एविएशन ने इसे भारतीय वायु सेना को सौंपा। रक्षा मंत्री ने राफेल (आरबी001) की शस्त्र पूजा की। इस पर रक्षा सूत्र बांधने के साथ ही उन्होंने नारियल, फूल और मिठाई चढ़ाई। टायरों के नीचे नींबू भी रखे। उन्होंने 70 मिनट तक फ्रांसीसी पायलट के साथ राफेल में उड़ान भी भरी। एक राफेल पाकिस्तान के दो एफ-16 लड़ाकू विमानों से अकेला निपट सकता है, 600 किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइल इसमें लगी है। राफेल उड़ा चुके फ्रांसीसी रक्षा विशेषज्ञ जीन विंसेट ब्रिसेट ने बताया कि भारत को मिल रहा राफेल आम राफेल नहीं है। इसे मॉडिफाई किया गया है। इसमें लगी स्कैल्प मिसाइल अचूक रही है। 600 किलोमीटर तक मार करने वाली 1300 किलो वजनी स्कैल्प से राफेल राजस्थान से ही पाकिस्तान के कराची जैसे दूसरे बड़े शहर को निशाना बना सकता है। इसमें 100 किलोमीटर तक मार करने वाली दूसरी मिसाइलें भी लगी हैं। डैसो ने बताया कि राफेल में भारतीय जरूरतों के हिसाब से 13 बड़े बदलाव हुए हैं। इसमें एक साथ सात मिसाइलें रखी जा सकती हैं। इन 13 बदलावों के बारे में कोई भी जानकारी देना सही नहीं होगा। फ्रांस के पास 180 राफेल हैं। हम 36 खरीद रहे हैं। मिस्र और कतर 24-24 विमान खरीद चुके हैं। मई 2020 तक चार राफेल भारत पहुंच जाएंगे। सितम्बर 2022 तक सभी 36 राफेल भारत को मिल जाएंगे। विजयदशमी और भारतीय वायुसेना के 87वें स्थापना दिवस के मौके पर फ्रांस से राफेल भारत को मिलना भारत की नई अर्जित क्षमता को ही रेखांकित करता है। दरअसल राफेल की आपूर्ति में देरी की एक बड़ी वजह यह भी है कि इसके करार को लेकर वहां राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश की गई थी और इस करार को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया गया, जिसने अंतत विभिन्न जनहित याचिकाओं का निपटारा करते हुए राफेल सौदे को हरी झंडी दिखाई थी। बेशक राजनीतिक रूप से राफेल सौदे की शर्तों पर विवाद रहा हो पर राफेल की क्षमता को लेकर कभी किसी को संदेह नहीं रहा है। मौजूदा परिदृश्य में दो इंजन वाले राफेल लड़ाकू विमान को पाकिस्तान और चीन की संभावित दोहरी चुनौती का कारगर जवाब माना जा रहा है। राफेल को इसकी राडारभेदी क्षमता के कारण चार-पांच पीढ़ी के लड़ाकू विमान के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जबकि भारतीय वायुसेना के पास अभी मौजूद अधिकांश विमान, जिनमें मिराज 2000 और एसयू 30एमकेआई शामिल हैं, तीसरी या चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं। यह बताना जरूरी है कि वास्तव में इस क्षेत्र में राफेल जैसी क्षमता वाला विमान किसी और देश के पास नहीं है। यह कहना गलत न होगा कि राफेल के भारतीय बेड़े में शामिल होने से भारतीय एयरफोर्स की मारक क्षमता और घातक हो जाएगी और यह दक्षिण एशिया की भूराजनीति में गेमचेंजर साबित होगा। वायुसेना ने यह साबित कर दिया है कि वह किसी भी परिस्थिति के लिए हमेशा तैयार है।

-अनिल नरेन्द्र

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