Friday, 25 October 2019

निर्मला सीतारमण बनाम डॉ. मनमोहन सिंह

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जोर पकड़ता जा रहा है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिका की प्रतिष्ठित कोलंबिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में भाषण देते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन दोनों की अगुवाई में भारतीय सरकारी बैंकों ने अपना अब तक का सबसे खराब दौर देखा। सीतारमण ने कहा कि आज सरकारी बैंकों को एक नया जीवन देना उनका प्रमुख कर्तव्य है।  हालांकि सीतारमण ने कहा कि वह विद्वान के तौर पर रघुराज राजन का सम्मान करती हैं और उन्हें उस दौर में केंद्रीय बैंक के लिए चुना गया था, जब अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही थी। सीतारमण कोलंबिया विश्वविद्यालय में भारतीय आर्थिक नीतियों पर दीपक और नीरज राज केंद्र द्वारा आयोजित व्याख्यान में बोल रही थीं। वित्तमंत्री ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह उस समय प्रधानमंत्री थे और डॉ. राजन इस बात से सहमत होंगे कि डॉ. मनमोहन सिंह का भारत के लिए एक स्पष्ट विजन था। इस बात पर श्रोताओं ने ठहाके भी लगाए। हालांकि निर्मला ने कहा कि मुझे इस बात पर संदेह नहीं है कि राजन जानते थे कि वह क्या कर रहे हैं। लेकिन यह तथ्य है कि सरकारी बैंकों ने सिंह और राजन के दौर में अपना सबसे खराब दौर देखा। केंद्रीय बैंक के प्रमुख के रूप में राजन के कार्यकाल में बैंक कर्जों को लेकर बड़ी समस्याएं सामने आईं। यह रघुराम राजन का कार्यकाल ही था, जब सिर्प नेताओं के फोन कॉल पर कर्ज दे दिए जाते थे और भारत के सरकारी बैंक आज भी उस संकट से निकलने के लिए सरकार की पूंजी पर निर्भर बने हुए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बृहस्पतिवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सरकार समस्याओं का समाधान तलाशने की बजाय विपक्षियों पर आरोप लगाने की आदत से मजबूर है। अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए असली दिक्कतों और वजहों का पता लगाना जरूरी है। सरकार की उदासीनता से देश के लोगों की महत्वाकांक्षाएं और भविष्य प्रभावित हो रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि निचली मुद्रास्फीति की सनक से किसानों पर संकट और सरकार की आयात-निर्यात नीति से भी समस्याएं खड़ी हो रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस में जो हुआ वह हुआ, कुछ कमजोरियां रही होंगी, लेकिन इस सरकार को उनसे सीख लेकर अर्थव्यवस्था की समस्याओं से निपटना  चाहिए, आप हर साल यह कहकर नहीं बच सकते कि यह सब यूपीए सरकार की देन है। आप कोई समाधान नहीं निकाल पा रहे हैं। एक समय महाराष्ट्र देश के सबसे ज्यादा निवेशकों को आकर्षित करता था, लेकिन अब यह किसानों की आत्महत्या के मामले में अग्रणी है। पूर्व प्रधानमंत्री बोलेöमेरा मानना है कि 2024 तक भारत को 50 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश बनने की कोई उम्मीद नहीं है। वह भी तब जब साल-दर-साल विकास दर गिर रही हो। सुशासन का बहुप्रचारित डंबल रंजन मॉडल फेल हो गया है जिस पर भाजपा ने वोट हासिल किया था। महाराष्ट्र गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। महाराष्ट्र में लगातार चौथे साल विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर गिरी है। पीएमसी बैंक घोटाला एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है।

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