Sunday, 13 October 2019

लांचिंग के बाद ही पता चलता है आइडिया अच्छा है या बुरा

यह कहना है मार्प रैंडाल्फ का जो नेटफिलक्स ओटीटी प्लेटफार्म के को-फाउंडर हैं। आज नेटफिलक्स के नाम से सभी परिचित हैं। नेटफिलक्स को हर कोई दुनिया के सबसे बड़े ओटीटी प्लेटफार्म के तौर पर जानते हैं। नेटफिलक्स पर हाल ही में प्रदर्शित टीवी सीरियल सेकेड ग्रेम्स सहित कई सीरियलों पर विवाद भी हुआ था। इसमें भाषा और कुछ दर्शाए गए सीन्स पर एतराज भी हुआ था। नेटफिलक्स को सभी जानते हैं पर इसके इतिहास के बारे में बहुत ही कम लोगों को मालूम है। असल में नेटफिलक्स की शुरुआत 1997 में डीवीडीज रेंट पर देने से हुई थी। वक्त के साथ वह डीवीडी किराये पर देने से दुनिया के सबसे बड़े ओटीटी प्लेटफार्म बन गई। वक्त के साथ एक सफल कंपनी बनी और इसने दूसरे क्षेत्रों में कदम जमाने शुरू किए और आज यह 150 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स व 100 बिलियन डॉलर से अधिक मार्केट कैंप के साथ-साथ घर-घर में मोबाइल में जाना-पहचाना नाम बन चुकी है। यहां नेटफिलक्स के कोफाउंडर व इसके पहले सीईओ मार्प रैंडाल्फ बता रहे हैं नेटफिलक्स के जन्म की कहानी। जनवरी 1997 में मार्प रैंडाल्फ और रीड हैस्टिंग्स एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी में साथ-साथ काम करते थे। दोनों की आगे की योजना कुछ अलग करने की थी। जहां रीड आगे पढ़ाई करना चाहते थे वहीं मार्प कोई बड़ा आइडिया सोचकर उसे लांच करने की फिराक में थे। मैंने कहा कि अपनी कंपनी लांच करने के लिए तैयार हूं और रीड को एक आंत्रप्रन्नोयर थे, ने कहा कि कोई आइडिया सोचते हैं और आप उसे चला सकते हैं और मैं उसे फंड कर सकता हूं और इसी तरह हमारी शुरुआत हुई। अगले छह महीनों तक मार्प ने रीड को कई आइडियाज सुझाए। हम एक सुबह साथ कॉफी पीते हुए बात कर रहे थे कि हम एक लिफाफे में कई डीवीडी डाक के जरिये भेज सकते हैं या नहीं। यह पता करने के लिए वे एक म्यूजिक स्टोर में गए और एक सीडी खरीद कर उसे रीड के घर भेज दी। जब उन्हें वह सीडी बिल्कुल सही-सलामत मिली तो उसके साथ ही उन्हें अपना बड़ा आइडिया भी मिल चुका था। इस तरह अगस्त 1997 में नेटफिलक्स शुरू हुई जो डीवीडी को रेंट पर डाक से भेजा करती थी। मैं लोगों को यह बताना चाहता था कि मैं खुद खास नहीं कर रहा हूं, बल्कि ऐसा काम तो कोई भी इंसान कर सकता था। अगर आपके पास एक आइडिया है तो इस बात से कोई फर्प नहीं पड़ता कि वह अच्छा है या बुरा, बात उसे जमीन पर उतारने की है। एक बार शुरुआत करने के बाद आपको पता लगता है कि वह अच्छा है या बुरा। आइडिया खुद आपको बता देता है।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment