Sunday, 6 October 2019

इंटरस्टेट मोबाइल गैंग, चुराता देशभर से था, बेचता विदेशों में

पिछले कुछ समय से मोबाइल स्नैचिंग व मोबाइल चोरी की वारदातों में जबरदस्त इजाफा हुआ है। अब चेन स्नैचिंग के साथ-साथ मोबाइल उड़ाने का भी धंधा बढ़ता जा रहा है और यह मोबाइल स्नैचिंग के पीछे बड़े-बड़े गिरोह एक तरीकेदार काम कर रहे हैं। ऐसा ही एक गैंग का हाल ही में मेरठ में पर्दाफाश हुआ है। एक ऐसा इंटरनेशनल गैंग जो मोबाइल फोन और लैपटॉप चुराता तो था दिल्ली से लेकर तेलंगाना तक, लेकिन ठिकाने लगाता था थाइलैंड और चीन जाकर जहां इन्हें बेचने के लिए भेज दिया जाता था। 100 से ज्यादा लोग इस गैंग के मैम्बर थे और इनमें से कोई नहीं जानता था कि यह गैंग आखिर चला कौन रहा है? जब पुलिस ने इस बॉस को गिरफ्तार किया तो पता चला कि यह 10वीं पास शख्स डेढ़ साल में करोड़पति बन गया, जब यह पकड़ा  गया तभी इसके पास से एक करोड़ रुपए के मोबाइल और लैपटॉप मिले। मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार ने बुधवार को बताया कि शरद गोस्वामी पिछले पांच साल से ठक-ठक गैंग चला रहा था। उसके तार थाइलैंड, नेपाल व चीन समेत कई देशों से जुड़े थे। शरद ने करीब 100 लोगों का गैंग बना रखा था। उसके साथी दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र आदि से मोबाइल और लैपटॉप लूटकर दिल्ली में जमा करते थे। रोज करीब 60 से 80 मोबाइल लूटे जाते थे। शरद चोरी के मोबाइल का लॉक खोलकर सौ फोन का एक पैकेट बनाता। दो-तीन हजार मोबाइल हो जाने पर वह उन्हें मुंबई में अपने साथी नदीम के पास रेलवे पार्सल से भेज देता था। नदीम इन्हें नेपाल, थाइलैंड, चीन आदि देशों में भेज देता था। एडीजे ने बताया कि जनवरी में शरद ने पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी मनोज प्रभाकर की पत्नी को मैक्स अस्पताल के पास लूटा था। मुकदमा दर्ज होने पर उसने प्रभाकर की पत्नी और इस केस की जांच कर रहे आईओ को धमकी भी दी थी। इस गैंग ने नोएडा से मई महीने में ओपो कंपनी के 1400 मोबाइल से भरा कैंटर भी लूट लिया था। शरद, उसकी पत्नी और मां के खाते से 15 महीने में तीन करोड़, 34 लाख, 68 हजार, 974 रुपए का लेनदेन हुआ, जबकि अब यह खाते सील कर दिए गए हैं। प्रेस कांफ्रेंस में शरद गोस्वामी ने पूछने पर बताया कि `धूम' फिल्म देखकर करोड़ों कमाने की योजना बनाई। मुंबई में शरद का काम नदीम देखता था। नदीम मुंबई, इंदौर व बेंगलुरु के मोबाइल शोरूम से काफी माल देश में ही बेचता था। वाट्सएप से मोबाइल के फोटो भेजकर सौदा तय होता था। उसके बाद बिना आईएमईआई तोड़े सौ-सौ मोबाइल का बंडल बनाकर विभिन्न देशों में भेजा जाता है। शरद का बैंकाक के एक बैंक में एनआरआई खाता भी है जिसमें रकम डाली जाती थी।

-अनिल नरेन्द्र

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