जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद
370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद से सूबे की स्थिति नियंत्रण
में नहीं आई है। केंद्र सरकार के पांच अगस्त के कदम के बाद से ही कश्मीर लाक डाउन की
स्थिति में है। जम्मू-कश्मीर में प्रमुख बाजारों के बंद रहने
और सार्वजनिक वाहनों के सड़कों से नदारद रहने के कारण लगातार 65वें दिन भी जनजीवन प्रभावित रहा और स्थिति सामान्य होती नहीं दिख रही है। पांच
अगस्त से लगी अधिकतर पाबंदियां आज भी जारी हैं। कश्मीर के अधिकतर हिस्सों में मोबाइल
सेवाएं और सभी इंटरनेट सेवाएं पांच अगस्त से ही निलंबित हैं। पूर्व मुख्यमंत्री फारुक
अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत मुख्य धारा के
कई नेता अब भी नजरबंद हैं। अमेरिका की एक संसदीय कमेटी (हाउस
ऑफ फॉरेन अफेयर्स कमेटी) ने सोमवार को ट्वीट किया, कश्मीर में संचार सेवाओं पर रोक से कश्मीरियों की जिंदगी और कल्याण पर विनाशकारी
असर पड़ रहा है। ट्वीट में कहा गया, समय आ गया है कि भारत पाबंदियां
हटाए और कश्मीरियों को भी वही अधिकार और सुविधाएं दे जो अन्य भारतीय नागरिकों को मिल
रही हैं। भारतीय मूल की अमेरिकी सांसद प्रेमिला जयपाल सहित 14 अमेरिकी सांसदों ने एक माह पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कश्मीर में मानवाधिकार
की स्थिति पर चिंताओं को दूर करने और संचार सेवाओं को बहाल करने का आग्रह भी किया था।
एक महीने बाद हाउस ऑफ फॉरेन अफेयर्स कमेटी का यह बयान आना यह दर्शाता है कि अमेरिका
सहित शेष दुनिया को कश्मीर में चल रही पाबंदियों पर एतराज होना शुरू हो गया है और इससे
दुनिया में मोदी सरकार की छवि प्रभावित हो रही है। बेशक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री
इमरान खान को अभी तक दुनिया में वह समर्थन नहीं मिला जिसकी उन्हें उम्मीद थी पर पांच
अगस्त से ही कश्मीर में चला आ रहा लाक डाउन से वर्ल्ड ओपिनियन बदल रहा है। जो सवाल
पूछा जा रहा है वह यह है कि आखिर कब तक यह लाक डाउन जारी रहेगा? किसी न किसी दिन तो इसे उठाना ही पड़ेगा। लाक डाउन खत्म करने से कश्मीर में
क्या स्थिति बनती है सभी के लिए चिंताजनक प्रश्न बना हुआ है। हाउस ऑफ फॉरेन अफेयर्स
कमेटी की एशिया-प्रशांत एवं परमाणु अप्रसार उपसमिति 22
अक्तूबर को कश्मीर और दक्षिण एशिया के अन्य हिस्सों में मानवाधिकारों
पर सुनवाई करेगी। जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त के बाद से अब तक
18 साल तक के 144 बच्चों को पुलिस द्वारा
गिरफ्तार किया गया था। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की किशोर न्याय
समिति यानि जुवेनाइल जस्टिस कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी पेश रिपोर्ट में कहा कि
पांच अगस्त के बाद 144 बच्चों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि
उन्होंने इस बात से इंकार किया कि उन्हें अवैध तरीके से उठाया गया था। यह रिपोर्ट जेके
हाई कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी, राज्य पुलिस और एकीकृत बाल
संरक्षण सेवाओं से प्राप्त पैनल के आंकड़ों
पर आधारित है।
-अनिल नरेन्द्र
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