प्रकाशित: 12 अप्रैल 2011
-अनिल नरेन्द्र
-अनिल नरेन्द्र
चीन अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं। भारत की सुरक्षा के लिए यह कोई न कोई सिरदर्द पैदा करता ही रहता है। चीन भारत और पाकिस्तान के बीच मधुर रिश्तों को बर्दाश्त नहीं कर सकता। इसीलिए जब भी भारत और पाक के बीच कूटनीतिक रिश्ते सुधरने लगते हैं, चीन कोई न कोई शरारत कर देता है। पिछले दिनों क्रिकेट के जरिये की गई कूटनीतिक चालों से भारत ने पाक से रिश्ते ठीक करने की पहल की थी। पाकिस्तान ने भी इसका जवाब गर्मजोशी से दिया। हमारे एक वरिष्ठ जनरल ने खुलकर और सार्वजनिक रूप से चेताया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर चीन ने सैनिक तैनात कर दिए हैं। इस 778 किलोमीटर की नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान के साथ चीनी सैनिकों की तैनाती भी हो चुकी है और किसी भी झड़प या युद्ध में हमें एक साथ दोनों देशों की सेना से एक साथ निपटना होगा। चीन इसके पहले भारत से सटी चार हजार किलोमीटर से अधिक लम्बी सीमा पर सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर का जाल बिछा चुका है। वहीं बड़ी संख्या में उसके सैनिक मौजूद हैं और वह हमले के लिए खतरनाक मिसाइलों को तैनात कर चुका है।
रक्षा मंत्रालय इस बात को लेकर चिंतित है कि पाक अधिकृत कश्मीर के हिस्से में चीन के सैनिकों ने स्थायी डेरा डाल दिया है। सैनिक खुफिया सूत्रों का दावा है कि भारत-चीन सीमा के एकदम करीब चीनी सेना की आठ बटालियन जमा हो चुकी हैं। इनके पास आधुनिक हथियार हैं। चीनी सैनिक यहां पर चप्पे-चप्पे में अपनी सक्रियता बढ़ाते जा रहे हैं। इस सूचना पर रक्षा मंत्रालय ने पाकिस्तान सरकार से जानकारी मांगी थी पर उसने आदत के मुताबिक गोल-मोल जवाब दिया। सेना की संवेदनशील नॉर्दर्न कमांड की जिम्मेदारी सम्भालने वाले लेफ्टिनेंट जनरल केटी पटनायक ने सार्वजनिक रूप से यह जानकारी दी है कि पीओके में चीन की सेना ने बड़ा जमावड़ा कर लिया है, इससे दोहरे खतरे हैं। एक बड़ा खतरा यह है कि इस इलाके में चीन के सैनिकों से आतंकी तत्वों को हथियारों का गहन प्रशिक्षण मिल रहा है और दूसरा यह कि चीन और पाक की सेना संयुक्त रणनीति बनाकर भारत सीमा पर सुरक्षा के कई तरह के खतरे खड़े कर सकती है।
खतरा कितना गम्भीर है, यह इस बात से समझा जा सकता है कि सीमा विवाद का जिक्र छिड़ने पर चीन अब केवल दो हजार किलोमीटर सीमा रेखा के विवाद की बात कहता है जबकि भारत के अनुसार विवादित इलाका साढ़े तीन हजार किलोमीटर लम्बा है। ध्यान रहे कि चीन जिस डेढ़ हजार किलोमीटर सीमा रेखा का जिक्र करना बन्द कर चुका है वह जम्मू-कश्मीर की चीनी इलाकों और तिब्बत से सटी सीमा रेखा है। मतलब चीन की नजरों में जम्मू-कश्मीर अब भारत का रहा ही नहीं। पिछले दिनों चीन के प्रधानमंत्री जियाबाओ ने अपनी भारत यात्रा पर आधिकारिक रूप से केवल दो हजार किलोमीटर सीमा रेखा की बात कही थी और हमने विवादित क्षेत्र साढ़े तीन हजार किलोमीटर बताया था जिसका चीन ने विरोध किया था। चीन की नीयत में खोट है और चीन के इरादे नेक नहीं। हमें चीन की रणनीति को समझना चाहिए और समय रहते चेतना होगा वरना अनर्थ हो सकता है।
रक्षा मंत्रालय इस बात को लेकर चिंतित है कि पाक अधिकृत कश्मीर के हिस्से में चीन के सैनिकों ने स्थायी डेरा डाल दिया है। सैनिक खुफिया सूत्रों का दावा है कि भारत-चीन सीमा के एकदम करीब चीनी सेना की आठ बटालियन जमा हो चुकी हैं। इनके पास आधुनिक हथियार हैं। चीनी सैनिक यहां पर चप्पे-चप्पे में अपनी सक्रियता बढ़ाते जा रहे हैं। इस सूचना पर रक्षा मंत्रालय ने पाकिस्तान सरकार से जानकारी मांगी थी पर उसने आदत के मुताबिक गोल-मोल जवाब दिया। सेना की संवेदनशील नॉर्दर्न कमांड की जिम्मेदारी सम्भालने वाले लेफ्टिनेंट जनरल केटी पटनायक ने सार्वजनिक रूप से यह जानकारी दी है कि पीओके में चीन की सेना ने बड़ा जमावड़ा कर लिया है, इससे दोहरे खतरे हैं। एक बड़ा खतरा यह है कि इस इलाके में चीन के सैनिकों से आतंकी तत्वों को हथियारों का गहन प्रशिक्षण मिल रहा है और दूसरा यह कि चीन और पाक की सेना संयुक्त रणनीति बनाकर भारत सीमा पर सुरक्षा के कई तरह के खतरे खड़े कर सकती है।
खतरा कितना गम्भीर है, यह इस बात से समझा जा सकता है कि सीमा विवाद का जिक्र छिड़ने पर चीन अब केवल दो हजार किलोमीटर सीमा रेखा के विवाद की बात कहता है जबकि भारत के अनुसार विवादित इलाका साढ़े तीन हजार किलोमीटर लम्बा है। ध्यान रहे कि चीन जिस डेढ़ हजार किलोमीटर सीमा रेखा का जिक्र करना बन्द कर चुका है वह जम्मू-कश्मीर की चीनी इलाकों और तिब्बत से सटी सीमा रेखा है। मतलब चीन की नजरों में जम्मू-कश्मीर अब भारत का रहा ही नहीं। पिछले दिनों चीन के प्रधानमंत्री जियाबाओ ने अपनी भारत यात्रा पर आधिकारिक रूप से केवल दो हजार किलोमीटर सीमा रेखा की बात कही थी और हमने विवादित क्षेत्र साढ़े तीन हजार किलोमीटर बताया था जिसका चीन ने विरोध किया था। चीन की नीयत में खोट है और चीन के इरादे नेक नहीं। हमें चीन की रणनीति को समझना चाहिए और समय रहते चेतना होगा वरना अनर्थ हो सकता है।
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