Tuesday 26 April 2011

नहीं रहे सत्य साईं बाबा

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
प्रकाशित: 26 अप्रैल 2011
-अनिल नरेन्द्र

करोड़ों भक्तों को उम्मीद थी कि उनके आध्यात्मिक गुरु श्री सत्य साईं बाबा कोई चमत्कार दिखाएंगे और लम्बी बीमारी के बावजूद उन्हें एक बार दर्शन जरूर देंगे पर ऐसा हुआ नहीं और साईं बाबा चल बसे। चमत्कार की आस टूट गई। लोगों के जीवन में अपनी चमत्कारी शख्सियत से आस जगाने वाले पुट्टपर्थी के श्री सत्य साईं बाबा का लम्बी बीमारी के बाद 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। हालांकि उन्होंने भक्तों से 96 वर्ष तक जीवित रहने का वादा किया था। रविवार सुबह 7.40 पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर फैलते ही देश-विदेश में फैले उनके लाखों-करोड़ों भक्त गणों में शोक की लहर दौड़ गई। बाबा के महाप्रयाण की आधिकारिक घोषणा करते हुए श्री सत्य साईं इंस्टीट्यूट आफ हायर मेडिकल साइसेंस के निदेशक डा. एएन साफाया ने बयान  जारी कर कहा कि भगवान साईं भौतिक देह के साथ हमारे बीच में नहीं रहे। हृदय और श्वसन प्रणाली फेल होने के कारण बाबा ने देह त्यागा। अमेरिका और ब्रिटेन से आए कई नामी डाक्टरों ने 28 दिन से अस्पताल में भर्ती सत्य साईं बाबा को बचाने के प्रयास किए।
वर्ष 1926 में एक सामान्य परिवार में जन्मे सत्यनारायण राजू अपने चमत्कारों और आध्यात्मिक ज्ञान से सत्य साईं के रूप में प्रसिद्ध हुए और भारत की सर्वाधिक लोकप्रिय आध्यात्मिक शख्सियत बन गए। उन्होंने हाथ हिलाकर विभूति और लिंगम जैसी चीजें प्रकट करने के भी चमत्कार किए। स्वयं को शिरडी के साईं बाबा का अवतार बताने वाले सत्य साईं को हृदय और श्वसन संबंधी समस्याओं के बाद 28 मार्च को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके अनेक अंगों ने काम करना बन्द कर दिया था। बाबा को वेंटिलेटर पर रखा गया था। उनकी किडनियों ने काम करना बन्द कर दिया और कुछ दिन पहले यक्रत के भी निक्रिय होने के बाद उनका स्वास्थ्य ज्यादा बिगड़ गया।
श्री सत्य साईं बाबा की विदाई के बाद उनकी विरासत पर सवाल खड़े हो गए हैं। बाबा ने किसी को अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया है। लिहाजा यह स्पष्ट नहीं है कि उनके बाद लाखों भक्तों के दान से खड़े हजारों करोड़ की सम्पत्ति के स्वामी सेंट्रल ट्रस्ट की कमान किसके हाथ  होगी। शिक्षण संस्थान, अस्पताल और पेयजल योजनाओं समेत बाबा के नाम पर चल रही परमार्थ गतिविधियों का संचालन कर रहे साईं सेंट्रल ट्रस्ट की अनुमानित सम्पत्ति 40 हजार करोड़ से अधिक की बताई जाती है जो देश-विदेश तक फैली है। 1972 में बाबा द्वारा स्थापित ट्रस्ट केवल चेक या बैंक भुगतान से दिए जाने वाला दान स्वीकार करता था। वहीं इसके कामकाज का संचालन छह न्यासी और चार सदस्यों वाली प्रबंध परिषद करती है। मार्च 2010 में पुनर्गठित इसके न्यासियों में बाबा के अलावा पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पीएन भगवती, पूर्व मुख्य सतर्पता आयुक्त एसवी गिरी समेत छह लोग हैं। बाबा के नजदीकी रिश्तेदारों में से उनके भतीजे आरजे रत्नाकर ही ट्रस्ट में हैं। 39 वर्षीय रत्नाकर ही बाबा के काफी नजदीकी माने जाते हैं। ट्रस्ट के प्रबंधन को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं और यही वजह है कि इसके उत्तराधिकारी के सवाल पर आंध्र प्रदेश सरकार भी नजरें गढ़ाए है। बाबा के भक्तों की शोक की घड़ी में वह अकेले नहीं हम भी उनके साथ हैं।

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