Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
प्रकाशित: 22 अप्रैल 2011
-अनिल नरेन्द्र
भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करने वाले अन्ना हजारे के सिपहसालार प्रशांत भूषण व उनके पिता शांति भूषण एक के बाद एक नए विवाद में फंसते जा रहे हैं। जन लोकपाल विधेयक बनाने के लिए गठित संयुक्त समिति में पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण और उनके पुत्र प्रशांत भूषण को शामिल करना अन्ना को बहुत भारी पड़ रहा है। अभी सीडी विवाद चल ही रहा है कि शांति भूषण और उनके वकील पुत्र प्रशांत भूषण के खिलाफ एक याचिका अदालत में दर्ज की गई है। याचिका इलाहाबाद में कम कीमत पर आवासीय परिसर की रजिस्ट्री के बारे में है। याचिका में दावा किया गया है कि शांति भूषण और इलाहाबाद के परिसर के मालिक ने कम कीमत पर सम्पत्ति की रजिस्ट्री कराकर शासन को डेढ़ करोड़ रुपये का चूना लगाया है। याचिका में विवादास्पद सीडी के सभी तथ्यों की जांच की भी मांग की गई है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील मनोहर लाल शर्मा ने सोमवार को दायर की है। इससे पहले शर्मा ने देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में शांति भूषण और प्रशांत भूषण पर न्यायपालिका पर ओछे आरोप लगाकर उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने और अपने हितों की खातिर अदालत का इस्तेमाल करने के आरोपों में दोनों के खिलाफ जांच की मांग की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि ये पिता-पुत्र न्यायपालिका के प्रति जनता की आस्था को ठेस पहुंचाने के इरादे से सुनियोजित तरीके से समय-समय पर बयानबाजी करते आ रहे हैं। यही नहीं, पिता-पुत्र ने समूची न्याय व्यवस्था और पूर्व न्यायाधीशों पर भी भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप लगाए। याचिका में अन्ना को आमरण अनशन करने की गलत सलाह देने का भी आरोप लगाया गया है।
अंग्रेजी के एक दैनिक में एक खबर छपी है जिसके अनुसार शांति भूषण और उनके बेटे प्रशांत भूषण को उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2009 में 10 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र वाले भूखंड आवंटित किए थे। प्रत्येक भूखंड का मूल्य साढ़े तीन करोड़ रुपये है। अखबार के अनुसार शांति भूषण और उनके बेटे ने स्वयं माना है कि योजना में पारदर्शिता नहीं थी और बिना किसी स्पष्ट मानदंड के यह आवंटन हुआ है। इन प्लाटों की कीमत सात करोड़ रुपये बताई जा रही है। ये प्लाट ग्रेटर नोएडा में दिए गए हैं। इस आवंटन को सुप्रीम कोर्ट के एक वकील विकास सिंह सेकानूनी चुनौती भी दे दी है। विकास सिंह का कहना है कि इसी स्कीम में उन्हें भी फार्म हाउस का प्लाट दिया गया है। लेकिन इस योजना में कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई। उन्होंने आरोप लगाया है कि आवंटन के लिए बड़ी रकम का लेन-देन भी हुआ है। हालांकि उन्होंने माना कि रिश्वत के पैसे उन्होंने नहीं दिए, फिर भी प्लाट मिल गया।
शांति भूषण के कारनामों की खबरें छपने से टीम हजारे में फिर बेचैनी फैलना स्वाभाविक ही है। अभी तक बहुचर्चित सीडी प्रकरण सुलटा नहीं कि एक नया विवाद आ खड़ा हो गया है। जयंत भूषण, शांति भूषण के दूसरे पुत्र हैं। ये भी सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। उन्होंने ही मुख्यमंत्री मायावती के ड्रीम प्रोजैक्ट नोएडा पार्प के मामले में याचिका दायर की थी। इस याचिका के चलते नोएडा पार्प का काम रुक गया था। क्या यह प्लाट जयंत को खुश करने के लिए मायावती सरकार की मेहरबानी तो नहीं थी? |
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