प्रकाशित: 15 अप्रैल 2011
-अनिल नरेन्द्र
यूरोप में मुसलमानों की सबसे ज्यादा आबादी (40 से 60 लाख) वाले देश फ्रांस में सोमवार को सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं का बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस दौरान नकाब पहनकर प्रदर्शन कर रही दो महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस प्रवक्ता ऐलेक्सिस मारसन ने बताया कि महिलाओं की गिरफ्तारी की वजह बुर्का पहनने की बजाय अनाधिकृत प्रदर्शन में शामिल होना है। लोगों ने प्रदर्शन के ऐलान के लिए तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया। लेकिन अब सैद्धांतिक रूप से फ्रेंच अधिकारी महिलाओं पर बुर्का पहनने के लिए जुर्माना लगा सकता है। इसके अलावा राशिद निकाज और उनकी एक महिला साथी को भी गिरफ्तार किया गया। ये राष्ट्रपति निकोलस सर्कोजी के आवास के सामने प्रदर्शन कर रहे थे। नॉर्टे डेम कैथेड्रल के सामने प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों में 32 वर्षीय केंजा ड्राइडर भी शामिल है। दक्षिणी शहर एविग्नॉन की रहने वाली केंजा फ्रांस में नकाब पहनने वाली महिलाओं की छोटी-सी आबादी का चेहरा बन गई है। केंजा का कहना है कि बुर्के पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून मुझे मिले यूरोपीय अधिकारों का उल्लंघन है। मैं इसका विरोध करूंगी। यह मेरी आने-जाने की आजादी और मजहबी स्वतंत्रता के खिलाफ है। बिजनेसमैन और सामाजिक कार्यकर्ता राशिद निकाज ने भी इसका अपने ढंग से विरोध आरम्भ कर दिया है। उन्होंने कहा कि बुर्का पहनने पर लगाए जाने वाला जुर्माना अदा करने के लिए वह एक फंड बनाएंगे। इसके लिए 14.52 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी नीलाम की जाएगी और इससे आने वाली रकम से फंड बनाया जाएगा।
फ्रांस में जो कानून बना है वह कुछ इस प्रकार है ः अगर कोई बुर्के पर बैन लगाने वाले कानून को तोड़ता है तो उस पर 150 यूरो (लगभग 10 हजार रुपये) का जुर्माना लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं, उसे नागरिकता के अनिवार्य कोर्स (री-एजुकेशन क्लॉसेज करनी होंगी) करना पड़ेगा। अगर कोई किसी महिला को बुर्का या नकाब पहनने के लिए मजबूर करता है तो उस पर बड़ा जुर्माना लगाया जा सकता है और 10 साल तक जेल हो सकती है।
फ्रांस में राष्ट्रपति निकोलस सर्कोजी की सरकार ने मुसलमान महिलाओं के सार्वजनिक स्थलों पर बुर्का या नकाब पहनने पर प्रतिबंध लगाकर एक बहस को जन्म दे दिया है कि इन महिलाओं की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति और धर्म का अधिकार ज्यादा बड़ा और महत्वपूर्ण है या कि देश के गणतंत्र के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और लिंग समानता का अधिकार? जाहिर है, सरकार ने किसी व्यक्ति की पहचान और उनके धार्मिक विश्वास के अधिकार पर स्त्राr-पुरुष के बीच समानता और गणतंत्र के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को ज्यादा तरजीह दी है। फ्रांस में बुर्का आदि पहनने वाली मुस्लिम औरतों की संख्या ज्यादा से ज्यादा 2000 होगी और अगर अब तक समाज बुर्के को बर्दाश्त करता रहा है तो वह आगे भी कर सकता है। फ्रांस की सोशलिस्ट पार्टी ने बुर्के पर प्रतिबंध लगाने के कानून पर संसद में हुए मतदान के दौरान अपने को शायद इसीलिए अलग रखा था। जिहादी चुनौती के मद्देनजर भी यह कदम माना जा रहा है। इसका विरोध बढ़ेगा और सम्भव है कि यूरोप के अन्य देशों में भी यह फैले। वह कह सकते हैं कि हमसे भेदभाव किया जा रहा है।
No comments:
Post a Comment